- प्रदीप सारंग
"सहकार" दुइ शब्दन से मिलि कै बना है- सह+कार। सह क्रिया विशेषण शब्द है। सह केर अर्थ है- साथ-साथ। कार केर अर्थ है- कार्य यानी करना। ई तिना सहकार केर अर्थ होत है- साथ-साथ करना, साथ साथ कार्य। यही से बना है सहकारिता। सहकारिता का अँगरेजी मा कहत हैं- कोआपरेटिव।
सहकार शब्द का विलोम है- बलात्कार। इहौ दुइ शब्दन से मिलिकै बना है- बलात्+कार। बलात् क्रिया विशेषण शब्द है। बलात के पर्यायवाची हैं- जबरन, बलपूर्वक, हठपूर्वक, जबरदस्ती। दूसर शब्द है- कार। कार का अर्थ है- कार्य। ई तिना बलात्कार कर अर्थ है- बल पूर्वक कार्य, बलपूर्वक करना। हठ पूर्वक कार्य, हठपूर्वक करना। जबरदस्ती कार्य, जबरदस्ती करना।
सहकार का विलोम, मतलब अर्थौ विपरीत। सहकार मा सहमति शामिल है। बलात्कार मा सहमति शामिल नहीं। यानी सहमति अथवा इच्छा के बिना कोऊ से कुछ छीन लेब, बल पूर्वक रोक लेब, कोऊ की इच्छा के विपरीत कार्य, कोऊ कै आवाज दबाउब आदि।
बलात्कार शब्द केर अर्थविशेषीकरन भवा है अउर अब सिरफ महिला के साथ ऊकी बिना इच्छा के बगैर सहमति के किये गए दुर्व्यवहार विशेषकर यौन-व्यवहार तईं बलात्कार शब्द केर उपयोग कीन जात है। यानी ई शब्द के अर्थ दायरे मा विधिक विस्तार कीन गवा है।
मध्यकालीन अंग्रेजी कानून मा, बलात्कार शब्द केर इस्तेमाल अपहरण अउर यौन उल्लंघन दुनहूँ तईं कीन जात रहा। ब्रिटिश न्यायाधीश लॉर्ड मैथ्यू हेल 1600 के दशक मा कहिन रहे कि- "बलात्कार ऐसा आरोप है जिसे लगाना आसान है, साबित करना कठिन है और आरोपी पक्ष द्वारा इसका बचाव करना और भी कठिन है।" यानी बलात्कार शब्द जतना संवेदनशील आजादी से पहिले रहै वतनै आजौ है। आपराधिक चरित्र देखत भये, आज के समय मा, बलात्कार कै परिभाषा अधिक व्यापक होइगै है अउर। ई शब्द के दायरे मा शारीरिक बल या जबरदस्ती के बिना यौन संबंध स्थापित करै वाले उहौ कृत्य शामिल करि लीन गये हैं जौन मामलन मा व्यक्ति वैध सहमति देय मा असमर्थ होय। यहि तिना कानून और न्यायालय तईं ई शब्द बलात्कर केर महत्ता आजादी के बादि कम नहीं भई बल्कि बढ़ी है।
ई सब शब्दन सहकार व बलात्कार केर प्रकृति देखी जाय तौ सहकार लोकतंत्र का शब्द है। लोकतंत्र मा कोऊ के मान सम्मान का अपमान नहीं कीन जाय सकत है। यही तिना बलात्कार शब्द राजतंत्र अऊर सामंतवाद के अंतर्गत आवै वाला शब्द आय। जहाँ पर राजा राज परिवार सामंत की इच्छा पूरी होय का चाही अउर कोऊ की इच्छा केर कउनौ मतलबै नई है।
राजतंत्र अउर सामन्तशाही समाप्त है मुला ई बलात्कार, मनमानी, जोर जबरदस्ती जइस शब्दन केर आत्मा मौजूद है जबकि लोकतंत्र मा ई सबन तईं कौनिव जगह नई है। मनई ऊपर ऊपर लोकतंत्र अपनाय लिहिस मुला अंदर से मन से नई अपनाइस है। लोकतंत्र यानी लोक अउर तंत्र। लोक तंत्रात्मक व्यवस्था संविधान लागू करि दिहिसि है। मुला बलवान, शक्तिवान अपने बल अउर शक्ति से मनमानी करै, आवाज दबावै केरी आदत मा आय गे रहे हैं। अपने बल, शक्ति के उपयोग से बहुत कुछ छीन लियत रहे हैं। आदत बनि गई हैं। लोकतंत्र के हिसाब से ई आदत बदलि नई पाय रहे हैं।
असली बात ई आय कि लोकतंत्र एक आदत आय, लोकतंत्र येकु व्यवहार आय, लोकतंत्र येकु आचरण आय। लोकतंत्र मा रहै वाले हर नागरिक का बलात्कार अउर मनमानी छोड़ि कै सहकार अपनावै का चाही। लोकतंत्र का मतलब है लोक द्वारा लोक तईं शासन तंत्र। लोक मायने पब्लिक यानी जनता यानी आम जन।
जब कउनौ मनई धन, बल, ज्ञान, बुद्धि, शक्ति सत्ता आदि के कारन अपना का आम से हटि कै विशेष मानै लागत है तबै ऊ लोकतंत्र के आचरण छोड़ि के राजतंत्र या सामंती आचरण अपनावै लागत है। फिरि बताउब जरूरी है कि राजतंत्र मा राजा, राज परिवार, सामंत के मान सम्मान ऊकी इच्छा के आगे कोऊ की इच्छा मान सम्मान का कउनौ मतलबै नई होत है। जबकि लोकतंत्र मा सबै की इच्छा सबै के मान सम्मान का बराबर मतलब होत है।
मनई के यही तिना के अलोकतांत्रिक सोच विचार आचरण की मौजूदगी के कारन बलात्कार जइस शब्द जिंदा हैं। महिला के सम्बंध मा एक अउर शब्द पर प्रसंगवश कुछ अउर चरचा करिन लेय का चाही। व्यापक अर्थ मा बलात्कार केर अर्थ सिर्फ महिला से नई जुड़त है। मुला सीमित अर्थ मा अब बलात्कार का अर्थ सिर्फ महिला के साथ हुवै वाले यौन-व्यवहार से जोरि कै देखा समझा जाय रहा है। यदि सिरफ यौन व्यवहार से जोरि कै न देखा जाय तबौ ई शब्दन की उपस्थिति-अनुपस्थिति से लोकतंत्र की उपस्थिति-अनुपस्थिति का एहसास होतै रहत है।
अगर दुइ शब्दन पर चर्चा अउर करि लीन जाय तौ तस्वीर बिल्कुलै साफ हुइ जाई।
ई शब्द आँय- सहवास, सहसंग, सम्भोग। सहवास का अर्थ साफ है कि सहमति सहित साथ-साथ वास। सहसंगौ केर मतलब साफ है कि सहमति सहित साथ-साथ संग। यही तिना संभोग शब्द- सम अउर भोग। सम मायने बराबर, भोग मायने भोग या उपयोग। संभोग केर शाब्दिक अर्थ है कि कउनौ काम मा शामिल सबै जन का बराबर आंनद, बराबर मजा बराबर संतुष्टि मिलै। ई सबै शब्दन केर अर्थ अउर प्रकृति मा याक दूसरे केरी इच्छा अउर सहमति का पूरा पूरा सम्मान सुरक्षित है।
हम इहौ कहा चहित है कि देश समाज की सबसे छोट सामूहिक इकाई परिवार है। परिवार के भीतरौ हर काम मा शामिल सबै जन का बराबर आनंद, बराबर संतुष्टि मिलै का चाही तबहिन समाज अउर देश मा सहकार केर स्वीकार्यता अउर बलात्कार केर अस्वीकार्यता बढ़ी। इके उलट परिवारौ मा कबौ बाप मुखिया होय के नाते मनमानी करत है आवाज दबाय देत हैं। कबौ बड़े होय के नाते भाय बड़ी बहिनौ अपन से छोट के साथ मनमानी करत रहत हैं, छुटकएन की इच्छा के बिना निर्णय लीन करत हैं। ईका मतलब है कि मन मस्तिष्क मा अलोकतंत्र का पालन पोषण परिवार मा होत रहत है। दूसरे शब्दन मा अलोकतंत्र केर नर्सरी घरै परिवार मा फलि-फूलि रही है।
हमका घर अउर परिवारै से मनमानी, बलात्कार, जोर जबरदस्ती खतम करै का परी। परिवार के हर सदस्य की इच्छा या सहमति के बिना खान-पान से पहिनावा तक कउनौ निर्णय न हुवै का चाही। बातचीत से मनुहार से प्रेरित करे बिना कउनौ निर्णय सहकार के विपरीत माना जाई। येकु नये समाज के निर्माण मा अपन सहकारी भूमिका निभावै तईं ई ग्यान अउर जानकारी जरूरी है।
(लेखक, कवि साहित्यकार एवं सन्दौली टाइम्स में कार्यकारी सह संपादक हैं।)
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