( जैक लंडन की कहानी " द चिनागो " का अंग्रेज़ी से हिंदी में " वह चिनागो " शीर्षक से अप्रकाशित अनुवाद )
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वह चिनागो
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मूल लेखक :
जैक लंडन - ---
अनुवाद :
सुशांत सुप्रिय
" प्रवाल विकसित होता है , ताड़ बढ़ता है , लेकिन मनुष्य प्रयाण कर जाता है ।"
-- ताहिती की कहावत ।
अह चो फ़्रांसीसी नहीं समझता था । वह बेहद थका-माँदा और उकताया हुआ , अदालत के भरे हुए कमरे में लगातार विस्फोटक फ़्रांसीसी सुनते हुए बैठा था , जिसे कभी एक अधिकारी और कभी दूसरा बोलता था । अह चो के लिए यह केवल बहुत ज़्यादा बड़बड़ाहट थी , औरवह फ़्रांसीसी लोगों की मूर्खता पर आश्चर्यचकित था जो चुंग गा के हत्यारे का पता लगाने में इतनी देरी कर रहे थे , और जिन्होंने उसका पता बिल्कुल नहीं लगाया । बाग़ान के पाँच सौ क़ुली जानते थे कि अह सेन ने यह हत्या की थी और यहाँ यह हाल था कि अह सेन कोगिरफ़्तार तक नहीं किया गया था । यह सच था कि सभी कुलियों ने एक दूसरे के विरुद्ध गवाही नहीं देने की बात गुप्त रूप से मान ली थी , पर फिर भी यह पता लगाना बेहद आसान था और फ़्रांसीसी लोगों को यह खोज निकालने में समर्थ होना चाहिए था कि अह सेन ही वहव्यक्ति था । ये बेहद मूर्ख थे, ये फ़्रांसीसी ।
अह चो ने ऐसा कुछ नहीं किया था जिसके लिए वह भयभीत होता । हत्या में उसका कोई हाथ नहीं था । यह सच है कि वह उस समय वहाँ मौजूद था , और बाग़ान का निरीक्षक स्केमर ठीक उसके बाद दौड़कर बैरक में आया था और चार या पाँच अन्य कुलियों के साथ उसेवहाँ पकड़ा था , पर उससे क्या होता है ? चुंग गा को केवल दो बार छुरा मारा गया था । यह बुद्धि की कसौटी पर खरा उतरता था कि पाँच या छह आदमी छुरों के दो घाव नहीं लगा सकते थे । यदि एक व्यक्ति ने केवल एक बार छुरा मारा था तो ज़्यादा से ज़्यादा केवल दोआदमी ही ऐसा कर सकते थे ।
अह चो ने यही तर्क सोचा था , जब उसने और उसके चार साथियों ने घटने वाली घटना के सम्बन्ध में अदालत को दिए गए अपने बयानों में झूठ बोला था और तथ्यों को अवरुद्ध और धुँधला कर दिया था । उन्होंने हत्या की आवाज़ें सुनी थीं , और स्केमर की तरह वे उसजगह की ओर दौड़े थे । वे स्केमर से पहले वहाँ पहुँच गए थे -- केवल यही बात थी । सच है , स्केमर ने बयान दिया था कि जब वह वहाँ से गुज़र रहा था तो झगड़े की आवाज़ से आकृष्ट हो कर वह कम से कम पाँच मिनट तक बाहर खड़ा रहा था और तब , जब वह भीतर गया, उसने क़ैदियों को पहले से ही भीतर पाया । स्केमर ने अपने बयान में यह भी कहा था कि क़ैदी ठीक पहले भीतर नहीं गए थे क्योंकि वह बैरक के एकमात्र दरवाज़े के पास खड़ा रहा था । पर उससे क्या होता है? अह चो और उसके चारो साथी-क़ैदियों ने बयान दिया था किस्केमर भ्रम में था और ग़लत था । अंत में उन्हें जाने दिया जाएगा । वे सभी इसके प्रति आश्वस्त थे । छुरे के दो घावों के लिए पाँच आदमियों से उनके सिर नहीं काटे जा सकते थे । इसके अलावा किसी विदेशी शैतान ने हत्या होते हुए नहीं देखी थी । पर ये फ्रांसीसी लोगकितने मूर्ख थे । जैसा कि अह चो अच्छी तरह जानता था , चीन में दण्डाधिकारी उन सबको यंत्रणा देने का आदेश दे देता और सच्चाई जान लेता । उत्पीड़न के द्वारा सच्चाई जानना बेहद आसान था । मगर ये फ़्रांसीसी लोग यातना नहीं देते थे -- बहुत बड़े मूर्ख थे ये ।इसलिए ये कभी नहीं जान पाएँगे कि कि चुंग गा की हत्या किसने की ।
पर अह चो सब कुछ नहीं समझता था । बाग़ान का स्वामित्व रखने वाली कंपनी ने काफ़ी बड़े खर्चे पर ताहिती में पाँच सौ कुलियों का आयात किया था । शेयर-होल्डर लाभांश के लिए शोर मचा रहे थे , और कंपनी ने अब तक कोई लाभांश अदा नहीं किया था । इसलिएकंपनी यह नहीं चाहती थी कि उसके क़ीमती अनुबंधित मज़दूर एक-दूसरे को मारने की प्रथा शुरू कर दें । साथ ही, वहाँ चिनागो लोगों पर फ़्रांसीसी क़ानून की ख़ूबियाँ और श्रेष्ठता थोपने के लिए उत्सुक और इच्छुक फ़्रांसीसी भी थे । कभी-कभार उदाहरण स्थापित करने सेज़्यादा अच्छा कुछ नहीं था ।इसके अलावा , इंसान होने और नश्वर होने के कारण सजा के भुगतान के तौर पर लोगों को अपने दिन दुर्दशा और दुख में बिताने के लिए भेजने के सिवाय न्यू कैलेडोनिया और किस काम का था ?
अह चो यह सब नहीं समझता था । वह अदालत के कमरे में बैठा विस्मयकारी न्याय की प्रतीक्षा कर रहा था जो उसे और उसके साथियों को वापस बाग़ान पर जाने और और अनुबंध की शर्तों को पूरा करने के लिए मुक्त कर देगी । यह फ़ैसला जल्दी ही दे दिया जाएगा ।कार्यवाही समाप्ति की ओर घिसट रही थी । वह यह देख सकता था । अब न और बयान दिए जा रहे थे , न और लोगों की बड़बड़ सुनाई दे रही थी । फ़्रांसीसी शैतान भी थक गए थे और स्पष्ट रूप से निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे थे । और जब वह इंतज़ार कर रहा था तो उसनेअपने जीवन के उस पिछले समय को याद किया जब उसने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे और जहाज़ में बैठ कर ताहिती के लिए रवाना हुआ था । उसके समुद्र-तटीय गाँव में समय बेहद कठिन रहा था , और तब उसने ख़ुद को सौभाग्यशाली माना था जब उसने दक्षिणीसमुद्र में पचास मेक्सिकी सेंट प्रतिदिन पर पाँच सालों के लिए मेहनत-मज़दूरी करने के लिए ख़ुद को करारबद्ध किया था ।
उसके गाँव में ऐसे पुरुष थे जो दस मेक्सिकी डाॅलर के लिए साल भर कड़ी मेहनत करते थे , और ऐसी औरतें थीं जो पाँच डाॅलर पाती थीं और यहाँ उसे एक दिन का पचास सेंट मिलना था । एक दिन के काम के एवज़ में , केवल एक ही दिन के काम के लिए उसे वह राजसीधन-राशि मिल जानी थी । अगर काम मुश्किल था तो क्या हुआ ? पाँच सालों के अंत में वह घर लौट आएगा -- यह अनुबंध में लिखा था -- और उसे दोबारा कभी यह काम नहीं करना पड़ेगा । वह जीवन भर के लिए एक अमीर आदमी हो जाएगा , जिसका अपना एक घरहोगा , पत्नी होगी , और सयाने हो रहे बच्चे होंगे जो उसका आदर करेंगे । हाँ, और घर के पिछवाड़े में उसका एक छोटा बग़ीचा होगा , सोचने-विचारने और आराम करने की एक जगह , और एक बहुत छोटे ताल में सोन-मछलियाँ होंगी । पेड़ों में हवा से बजने वाली घंटियाँटनटनाएँगी , और चारो ओर एक ऊँची दीवार होगी ताकि उसका सोचना-विचारना और आराम करना शांत और अक्षुब्ध रहे ।
ख़ैर , उसने उन पाँच सालों में से तीन साल बिता लिए थे । अपनी कमाई के द्वारा वह अपने देश में अभी से एक धनी आदमी हो गया था , और ताहिती में कपास के बाग़ान और उसकी राह देख रहे सोचने-विचारने और आराम करने के बग़ीचे के बीच में केवल दो साल औरपड़ते थे । लेकिन ठीक इस समय वह चुंग गा की हत्या के समय मौजूद रहने की बदक़िस्मत दुर्घटना के कारण रुपए-पैसे खो रहा था । वह तीन हफ़्ते से जेलखाने में पड़ा था , और उन तीन हफ़्तों में से प्रत्येक दिन के लिए उसने पचास सेंट खोए थे । पर अब जल्दी ही फ़ैसलासुना दिया जाएगा , और वह वापस काम पर चला जाएगा ।
अह चो की उम्र बाईस साल थी । वह ख़ुशमिज़ाज और अच्छे स्वभाव का था , और उसके लिए मुस्कराना आसान था । हालाँकि उसका शरीर एशियाई ढंग से छरहरा था , पर उसका चेहरा गोल-मटोल था । वह चाँद की तरह गोल था और वह एक सौम्य भद्रता और आत्मा कीमधुर सहृदयता को आलोकित करता था जो उसके हमवतनों में विरल थी । उसके चेहरे का रूप-रंग भी उसे झूठा साबित नहीं करता
था । उसने कभी गड़बड़ी नहीं फैलाई थी , कभी लड़ने-झगड़ने में भाग नहीं लिया
था । वह जुआ नहीं खेलता था । उसकी अंतरात्मा उतनी निष्ठुर नहीं थी जितनी एक जुआरी की होनी चाहिए । वह साधारण चीज़ों और सामान्य इच्छाओं से संतुष्ट था । कपास के दहकते खेत में कड़ी मेहनत करने के बाद शाम की शीतलता में मौजूद नि:स्तब्धता औरशांति उसे असीम संतोष देती थी । वह किसी अकेले फूल को एकटक देखते हुए और अस्तित्व के गूढ़ रहस्यों और पहेलियों पर चिंतन करते हुए घंटों बैठा रह सकता था । रेतीले समुद्र-तट के एक बहुत छोटे अर्द्ध-चंद्राकार पर खड़ा एक नीला बगुला, उड़न-मीन की रुपहलीउछाल, या समुद्रताल के उस पार एक मोतिया और गुलाबी सूर्यास्त उसे इतना सम्मोहित कर सकते थे कि वह थकाऊ दिनों के जुलूस और स्केमर के भारी कोड़े के प्रति पूरी तरह भुलक्कड़ हो जाए ।
स्केमर, कार्ल स्केमर , एक पशु था , एक बर्बर पशु । पर वह अपना वेतन कमाता था । वह उन पाँच सौ ग़ुलामों से ताक़त का अंतिम क़तरा निचोड़ लेता था क्योंकि वे तब तक ग़ुलाम ही थे जब तक कि उनके पाँच सालों की अवधि समाप्त नहीं हो जाती । स्केमर कड़ी मेहनतकरता था ताकि वह उन पाँच सौ पसीना बहाते शरीरों से शक्ति निचोड़ सके और निर्यात के लिए तैयार कपास के रोयेंदार गट्ठों में उसके स्वरूप को बदल सके । यह उसकी प्रबल, कदाचित आदिम पाशविकता ही थी जो उसे स्वरूप-परिवर्तन को लागू करने की ताक़त देती थी ।साथ ही , उसे तीन इंच चौड़े और गज भर लम्बे चमड़े के एक मोटे पट्टे की सहायता प्राप्त थी जिसके साथ वह चलता था और जो समय-समय पर किसी झुके हुए क़ुली की नंगी पीठ पर पिस्तौल की गोली की तरह धड़ाके के साथ गिरती थी । ये धड़ाके तब लगातार होते जबस्केमर घोड़े पर सवार हो कर खांचेदार खेत से गुज़रता था ।
एक बार, अनुबंधित श्रम के पहले साल के शुरू में , उसने एक क़ुली को मुक्के के एक ही वार से मार डाला था । उसने उस आदमी के सिर को ठीक-ठीक अंडे के छिलके की तरह तो नहीं कुचला था , पर जो भीतर था उसे गड़बड़ कर देने के लिए वह घूँसा काफ़ी रहा था , औरएक सप्ताह तक बीमार रहने के बाद वह आदमी चल बसा था । पर चीनियों ने ताहिती पर शासन करने वाले फ्रांसीसी शैतानों से शिकायत नहीं की थी । यह उनका अपना पहरेदार था । स्केमर उनकी समस्या था । उन्हें उसके कोप से दूर रहना था जैसे वे कन-खजूरों के विषसे बचते थे जो घास में छिपे रहते या बारिश की रातों में रेंग कर सोने की जगहों पर पहुँच जाते । द्वीप की आलसी , भूरी चमड़ी वाली जनता जिन्हें चिनागो कह कर बुलाती थी उन्होंने यह ध्यान रखा कि वे स्केमर को बहुत ज़्यादा नाराज़ न करें । यह स्केमर के लिए पूरीमात्रा में की गई कड़ी मेहनत के बराबर था । स्केमर के मुक्के का वह वार कम्पनी के लिए हज़ारों डाॅलर के मूल्य का रहा था , किंतु इसके कारण स्केमर को कभी कोई परेशानी नहीं हुई ।
फ़्रांसीसियों के पास उपनिवेशन की सहज वृत्ति नहीं थी और वे द्वीप के साधनों को विकसित करने के बचकाने खेल में व्यर्थ सिद्ध हुए थे । इसलिए अंग्रेज़ कम्पनी को सफल होता देखकर वे खुश हुए । स्केमर और उसके बदनाम घूँसे का मामला आख़िर था ही क्या ? एकचिनागो मर गया , यही न ? यही सही , आख़िर वह एक चिनागो ही तो था । इसके अलावा वह तो लू लगने से मरा था , जैसा कि डाॅक्टर के सर्टिफ़िकेट से प्रमाणित होता था । सच है, ताहिती के समूचे इतिहास में कभी कोई लू लगने से नहीं मरा था पर यही कारण था , ठीकयही , जो इस चिनागो की मौत को अनूठा बनाता था । डाॅक्टर ने भी अपनी रिपोर्ट में यही कहा था । वह बेहद स्पष्टवादी था । लाभांश अदा करना आवश्यक था , वरना ताहिती की असफलताओं के लम्बे इतिहास में एक और असफलता जुड़ जाती ।
इन गोरे शैतानों को समझना असंभव था । न्याय की प्रतीक्षा करते हुए अदालत के कमरे में बैठा अह चो उनकी रहस्यमयता पर विचार करने लगा । उनके मन में क्या चल रहा होता यह कोई नहीं बता सकता था । उसने कुछ गोरे शैतानों को देखा था । वे सभी एक जैसे थे -- जहाज़ पर मौजूद अफ़सर और नाविक , फ़्रांसीसी अधिकारी , बाग़ान पर मौजूद कई गोरे लोग , जिनमें स्केमर भी था । उन सभी के मन रहस्यमय रास्तों पर चलते थे जिन्हें समझ पाना असम्भव था । वे बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के नाराज़ हो जाते , और उनका क्रोधहमेशा ख़तरनाक होता । ऐसे समय में वे हिंस्र पशुओं जैसे हो जाते । वे छोटी-छोटी चीज़ों के लिए चिंतित रहते , और कभी-कभी एक चिनागो से भी ज़्यादा कड़ी मेहनत कर सकते थे । वे चिनागो लोगों की तरह मिताहारी नहीं थे , वे पेटू थे जो आश्चर्यजनक रूप से ज़्यादाखाते थे और उससे भी ज़्यादा शराब पीते थे । एक चिनागो यह कभी नहीं जान पाता था कि कब उसका कोई काम उन्हें ख़ुश कर देगा या उनके क्रोध का तूफ़ान खड़ा कर देगा । एक चिनागो यह कभी नहीं बता सकता था । जो चीज़ एक बार उन्हें ख़ुश करती थी , वही दूसरीबार क्रोध का विस्फोट उत्पन्न कर सकती थी । गोरे शैतानों की आँखों के पीछे एक पर्दा था जो उनके मन को चिनागो लोगों की टकटकी से छिपाता था । इन सब के अलावा गोरे शैतानों में भारी सामर्थ्य था , चीज़ों को करने की योग्यता थी । उनमें चीज़ों को चला सकने की , काम करके नतीजे निकाल सकने की और अपनी इच्छाशक्ति के अनुरूप सभी सरकने और रेंगने वाली चीज़ों को झुका सकने की दक्षता थी । बल्कि सभी मूल तत्वों की पूरी शक्तियाँ भी उन्हीं में थी । हाँ, गोरे लोग अनूठे और असाधारण थे और वे शैतान थे । स्केमर कोदेखो ।
अह चो हैरान था कि फ़ैसला देने में इतनी देर क्यों लग रही थी । जिन लोगों पर मुक़दमा चल रहा था उन में से किसी ने चुंग गा को हाथ भी नहीं लगाया था । केवल अह सेन ने ही उसकी हत्या की थी । अह सेन ने चुंग गा की चोटी पकड़ कर एक हाथ से उसका सिर पीछेझुकाया था और फिर पीछे से दूसरा हाथ आगे बढ़ा कर चाक़ू को उसके शरीर में घुसा दिया था । दो बार उसने चाक़ू भीतर घुसेड़ दिया था । वहाँ अदालत के कमरे में आँखें बंद किए हुए अह चो ने हत्या को दोबारा होते हुए देखा -- तू-तू-मैं-मैं , बेहद घटिया शब्दों का होताआदान-प्रदान, आदरणीय पूर्वजों को दी गई गालियाँ और उनका किया गया अपमान , अनादि पीढ़ियों को दिए गए शाप , अह सेन की छलाँग , चुंग गा की चोटी पर उसकी पकड़, वह चाक़ू जो शरीर में दो बार घुसा , दरवाज़े के लिए झपटना , अह सेन का बच कर भागनिकलना , स्केमर का उड़ता पट्टा जिसने बाक़ी लोगों को कोने में खदेड़ दिया और संकेत के तौर पर रिवाल्वर से गोली का चलना जो स्केमर के लिए मदद लाई ।
अह चो इस पूरे घटनाक्रम को दोबारा जीते हुए सिहरा । पट्टे का एक प्रहार उसके गाल पर चोट लगा कर थोड़ा चमड़ा छील कर ले गया । स्केमर ने चोट की ओर इशारा किया था जब उसने कटघरे में अह चो को पहचाना था । अब जा कर वे निशान ठीक से नहीं दिखते थे । वहएक बड़ा तगड़ा वार था । यदि वह मध्य के पास आधा इंच और होता तो उसकी आँख निकाल लेता । और फिर वह सोचने-विचारने और आराम करने वाले बग़ीचे की झलक में , जो कि उसका होगा जब वह अपनी धरती पर वापस लौटेगा , इस समूचे घटनाक्रम को भूल गया।
जिस समय दंडाधिकारी फ़ैसला सुना रहा था , वह शांत चेहरा लिए बैठा था । उसके चारो साथियों के चेहरे भी उसी तरह शांत थे । और वह उसी तरह शांत रहे जब दुभाषिये ने उन्हें स्पष्ट किया कि उन पाँचो को चुंग गा की हत्या करने का दोषी पाया गया था । उन्हें बतायागया कि अह चाओ का सिर काट दिया जाएगा , अह चो को न्यू कैलेडोनिया के जेलख़ाने में बीस साल की सज़ा भुगतनी होगी , वोंग ली को बारह साल और अह तोंग को दस साल कैदख़ाने में बिताने होंगे ।
इसके बारे में उत्तेजित होने का कोई फ़ायदा नहीं था । यहाँ तक कि अह चाओ भी ममी-सा भावहीन बना रहा , हालाँकि उसी के सिर को काट दिया जाना था । दण्डाधिकारी ने कुछ शब्द कहे और दुभाषिये ने स्पष्ट किया कि सकेमर के पट्टे से अह चाओ के चेहरे पर सबसेअधिक चोट लगने से उसकी पहचान इतनी सुनिश्चित हो गई थी कि चूँकि एक व्यक्ति को मरना ही था , इसलिए उसी का वह व्यक्ति होना उचित था । साथ ही , अह चो के चेहरे पर भी उसी तरह काफ़ी चोट लगी थी , जो हत्या की जगह उसकी उपस्थिति और हत्या मेंउसकी असंदिग्ध सहभागिता निर्णायक रूप से साबित करती थी । इसी कारण उसे बीस सालों का कठोर श्रम-कारावास दिया गया था । और अह तौंग के दस सालों के कारावास तक प्रत्येक सज़ा के निर्धारित कारण को स्पष्ट किया गया । अदालत ने अंत में कहा कि चिनागोलोगों को इस से सबक़ सीखना चाहिए क्योंकि उन्हें मालूम हो जाना चाहिए कि चाहे कुछ भी हो जाए , ताहिती में क़ानून का पालन किया जाएगा ।
पाँचो चिनागो क़ैदियों को वापस जेल ले जाया गया । उन्हें कोई सदमा नहीं लगा , न ही उन्होंने शोक मनाया । सज़ा अप्रत्याशित थी पर वे गोरे शैतानों से अपने सम्पर्कों में इसके बिलकुल आदी हो चुके थे । एक चिनागो उनसे विरले ही अप्रत्याशित से कम की अपेक्षा करताथा । जो अपराध उन्होंने नहीं किया था , उसके लिए कठोर दण्ड दिया जाना उतना ही आश्चर्यजनक था जितनी असंख्य अजीब चीज़ें गोरे शैतान करते रहते थे ।
इसके बाद आने वाले हफ़्तों में अह चो अक्सर अह चाओ को सदय कुतूहल से देखता । उसका सिर उस कर्त्तन-यंत्र से काट दिया जाना था जो बाग़ान पर बनाया जा रहा था । उसके लिए कोई ढलते हुए साल नहीं होंगे , कोई प्रशांति के बाग़ नहीं होंगे । अह चो जीवन औरमृत्यु के बारे में चिंतन करता रहता । अपने लिए वह उद्विग्न नहीं था । बीस साल केवल बीस साल थे । उतने अरसे के लिए उसका बग़ीचा उससे दूर चला गया था -- बस । वह युवा था और एशिया का धैर्य उसकी हड्डियों में था । वह उन बीस सालों तक रुक सकता था । उससमय तक उसके ख़ून की गर्मी शांत हो चुकी होगी और वह उस शांत आनंद के बगीचे के लिए बेहतर स्थिति में होगा । उसने उसके लिए एक नाम सोचा , वह उसे सुबह की शांति का बग़ीचा कहेगा । इस विचार ने उसे दिन भर ख़ुश रखा , और उसे धैर्य के सद्गुण पर एकनैतिक सूक्ति को सोच निकालने की प्रेरणा मिली । यह सूक्ति बड़ी दिलासा देनेवाली साबित हुई , ख़ास तौर से वांग ली और अह लौंग के लिए । लेकिन अह चाओ ने इस सूक्ति पर कोई ध्यान नहीं दिया । इतने कम समय में उसका सिर उसके धड़ से अलग कर दिया जानाथा कि उसे उस घटना का इंतज़ार करने के लिए धैर्य की कोई ज़रूरत ही नहीं थी । वह डट कर सिगरेट पीता , डट कर खाता , डट कर सोता और समय के धीरे बीतने की कोई चिंता नहीं करता ।
क्रूशो एक सशस्त्र पुलिसवाला था । उसने नाइजीरिया और सेनेगल से लेकर दक्षिणी समुद्रों तक के उपनिवेशों में बीस साल तक नौकरी की थी और यह स्पष्ट था कि इन बीस सालों ने उसकी मंद बुद्धि को चमका कर और तेज नहीं बनाया था । वह उतना ही मंद-बुद्धि वालाऔर मूर्ख था जितना वह दक्षिणी फ्रांस में अपने देहाती दिनों में था । वह अनुशासन के बारे में जानता था और अधिकारी वर्ग का दबदबा मानता था । भगवान और पुलिस अधिकारी में उसके लिए एकमात्र अंतर दासोचित आज्ञापालन का अनुपात था जो वह उन्हें अर्पितकरता था । असल में रविवार के दिनों को छोड़ कर , जिस दिन भगवान के प्रतिनिधियों की चलती थी , बाक़ी दिन पुलिस अधिकारी ही उसे ज़्यादा बड़ा लगता था । भगवान सामान्यतः उससे बहुत दूर थे जबकि पुलिस अधिकारी साधारणतया उसके बहुत पास होता था ।
वह क्रूशो ही था जिसने मुख्य न्यायाधीश से जेलर के नाम आदेश प्राप्त किया ।उस आदेश में उस पदाधिकारी को हुक्म दिया गया था कि वह अह चाओ नामक व्यक्ति को क्रूशो को सौंप दे । अब ऐसा हुआ कि मुख्य न्यायाधीश ने पिछली रात को फ़्रांसीसी युद्धपोत के कप्तानऔर अधिकारियों के लिए रात्रि-भोज आयोजित किया था । जब उसने आदेश लिखा तो उसका हाथ काँप रहा था , और उसकी आँखें इतनी बुरी तरह दर्द कर रही थीं कि उसने आदेश दोबारा नहीं पढ़ा । जो कुछ भी हो , वह केवल एक चिनागो का जीवन ही तो था जिसके बारेमें वह हस्ताक्षर कर रहा था । इसलिए उसने ध्यान नहीं दिया कि उसने ' अह चाओ ' की बजाए ' अह चो ' लिख दिया था । आदेश में अह चो लिखा था , इसलिए जब क्रूशो ने आदेश पेश किया तो जेलर ने अह चो नाम के आदमी को उसे सौंप दिया । क्रूशो ने उस व्यक्ति कोअपने दोनो खच्चरों के पीछे , अपनी चौपहिया गाड़ी में अपने बगल की सीट पर बैठाया और गाड़ी ले कर चल पड़ा ।
अह चो खुली धूप में आने पर बेहद ख़ुश था । वह पुलिस वाले के बगल में बैठकर मुस्कराया । वह तब पहले से भी ज़्यादा उत्साह से मुस्कराया जब उसने ध्यान दिया कि खच्चर दक्षिण दिशा में अटिमाओनो की ओर जा रहे थे । निस्सन्देह , स्केमर ने उसे वापस बुलाने केलिए ही गाड़ी भेजी थी । स्केमर चाहता था कि वह काम करे । ठीक है , वह अच्छी तरह से काम करेगा । स्केमर के पास कभी शिकायत करने का कोई कारण नहीं होगा । वह काफ़ी गरम दिन था । हवा बंद हो गई थी । खच्चर पसीने-पसीने हो रहे थे । क्रूशो पसीने से नहारहा था , और अह चो भी पसीने में डूबा था । पर वह अह चो ही था जो गरमी को न्यूनतम चिंता से सह रहा था । उसने तीन सालों तक बाग़ान में धूप में कड़ी मेहनत की थी । वह इतना प्रसन्नचित था और इतने अच्छे ढंग से मुस्कराए जा रहा था कि क्रूशो के गंभीर औरनीरस मन में भी आश्चर्य पैदा होने लगा । " तुम बड़े मज़ाक़िया हो ," अंत में उसने कहा ।
अह चो ने सिर हिलाया और पहले से भी ज़्यादा उत्साह से मुस्कराया । दंडाधिकारी के विपरीत , क्रूशो ने उससे कनाका भाषा में बात की । सभी चिनागो लोगों और विदेशी शैतानों की तरह अह चो यह भाषा समझता था ।
" तुम बहुत ज़्यादा हँसते हो ," क्रूशो ने उसे डाँटा । " जब कोई ऐसा दिन हो तो आदमी की आँखें आँसुओं से भरी होनी चाहिए । "
" मैं खुश हूँ कि मैं जेलखाने से बाहर आ गया हूँ ।"
" क्या यही सब कुछ है ? " पुलिसवाले ने अपने कंधे उचकाए ।
" क्या यह काफ़ी नहीं ?" जवाब मिला ।
" तो तुम अपने सिर के कट जाने पर खुश हो ?"
अह चो ने एकाएक उसकी ओर उलझन भरी निगाह से देखा और
कहा , " क्यों , मैं तो स्केमर के लिए बाग़ान पर काम करने के लिए वापस अटिमाओनो जा रहा हूँ । क्या आप मुझे अटिमाओनो नहीं ले जा रहे ? "
क्रूशो कुछ सोचते हुए अपनी लम्बी मूँछों को सहलाने लगा । " अच्छा ,
अच्छा ," अंत में उसने ग़लत ओर जा रहे खच्चर पर चाबुक का प्रहार करते हुए
कहा , " तो तुम नहीं जानते हो ? "
" मैं क्या नहीं जानता हूँ ? " अह चो एक अस्पष्ट ख़तरे का संकेत महसूस करने लगा था । " क्या स्केमर मुझे अपने लिए अब और काम नहीं करने देगा ? "
" आज के बाद नहीं । " क्रूशो खुलकर हँसा । यह एक अच्छा मज़ाक़ था ।
" देखो , तुम आज के बाद काम नहीं कर सकोगे । कटे हुए सिर वाला आदमी काम नहीं कर सकता , समझे । " उसने चिनागो की पसलियों में उँगली चुभाई , और धीरे से हँसा ।
अह चो ने चुप्पी बनाए रखी जबकि खच्चरों ने गरमी में तेज़ी से एक मील का का रास्ता तय कर लिया । फिर उसने कहा : " क्या स्केमर मेरा सिर काट देने वाला है ? " क्रूशो सिर हिलाते हुए मुस्कराया ।
" यह एक ग़लती है ," अह चो ने गंभीरता से कहा । " मैं वह चिनागो नहीं हूँ जिसका सिर काट दिया जाना है । मैं अह चो हूँ । माननीय न्यायाधीश ने यह निर्धारित किया था कि मुझे बीस सालों के लिए न्यू कैलेडोनिया में रुकना है । "
पुलिसवाला हँसा । यह एक अच्छा मज़ाक था । यह अनोखा चिनागो कर्तन-यंत्र को धोखा देने की कोशिश कर रहा था । खच्चर नारियल के एक बाग़ से होकर गुज़रे और आधा मील तक चमकदार समुद्र के पास से होकर चलते रहे । तब अह चो ने दोबारा बोलना शुरू किया ।
" मैं आपको बता रहा हूँ कि मैं अह चाओ नहीं हूँ । माननीय न्यायाधीश ने यह नहीं कहा था कि मेरा सिर काट दिया जाना था ।"
" डरो मत ," क्रूशो ने अपने क़ैदी के लिए इसे अपेक्षाकृत आसान बनाने के लोकोपकारी इरादे से कहा । " इस तरह से मरना मुश्किल नहीं है ।" उसने अपनी उँगली चटकाई । " यह तेज़ी से होता है, इस तरह । यह रस्सी के सिरे पर लटकते हुए पाँच मिनट तक हाथ-पैर मारनेऔर चेहरा बनाने जैसा नहीं है । यह एक चूज़े को कुल्हाड़ी से मारने जैसा है । तुम उसका सिर काट देते हो, बस । आदमी के साथ भी वैसा ही होता है । खच्च् । और वह ख़त्म हो जाता है । इससे चोट नहीं लगती । तुम सोचते भी नहीं हो कि इससे चोट लगती है । तुम नहींसोचते हो । तुम्हारा सिर कट चुका होता है , इसलिए तुम नहीं सोच सकते । यह बहुत अच्छा है । यही वह तरीक़ा है जिससे मैं मरना चाहता हूँ -- तुरंत । हाँ, तुरंत । तुम क़िस्मत वाले हो कि इस तरह से मरोगे । हो सकता था कि तुम्हें कोढ़ हो जाता और तुम्हारा क्षय धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा करके होता । एक बार में एक उँगली , और जब-तब एक अँगूठा , साथ ही पैर की उँगलियाँ भी । मैं एक ऐसे आदमी को जानता था जिसे गरम पानी से जलाया गया । उसे मरने में दो दिन लगे । तुम एक किलोमीटर दूर तक उसका चीख़ना सुन सकते थे ।लेकिन तुम ? वाह । कितना आसान है । खच्च् । चाक़ू तुम्हारे गर्दन को इसी तरह काट देता है । सब ख़त्म हो जाता है । हो सकता है कि चाकू गुदगुदाता भी हो । कौन बता सकता है ? इस तरह से मरने वाला कोई भी आदमी बताने के लिए वापस नहीं आया । "
उसने अपने इस अंतिम वाक्य को एक मर्मभेदी मज़ाक माना , और खुद को आधे मिनट के लिए हँसी से लोट-पोट हो जाने दिया । उसकी हँसी का कुछ हिस्सा बनावटी था , पर वह उस चिनागो को दिलासा देना अपना मानवोचित कर्तव्य मानता था ।
" पर मैं आपको बता रहा हूँ कि मैं अह चो हूँ । " चिनागो ज़िद करता रहा ।
" मैं अपना सिर नहीं कटवाना चाहता । "
" बस , बहुत हो गया ," पुलिसवाले ने बीच में टोका । उसने अपने गाल फुला लिये और खूँखार लगने की कोशिश करने लगा ।
" मैं आपको बता रहा हूँ , मैं वह नहीं हूँ । " अह चो दोबारा शुरू हुआ ।
" बकवास बंद करो ।" क्रूशो चिल्लाया ।
इसके बाद वे ख़ामोश हो कर चलते रहे । पपीटे से अटिमाओनो की दूरी बीस मील की थी और आधी से ज़्यादा दूरी तय की जा चुकी थी जब चिनागो साहस करके दोबारा बोला -- " मैंने आपको अदालत के कमरे में देखा था , जब माननीय न्यायाधीश हमारे अपराध के बारे मेंपूछताछ करके पता लगा रहे थे ।"
" आपको याद आया ? और क्या आप उस अह चाओ को याद कर पा रहे हैं जिसका सिर काटा जाना है -- क्या आप याद कर पा रहे हैं कि अह चाओ एक लम्बा आदमी था ? मेरी ओर देखिए । "
वह अचानक खड़ा हो गया और क्रूशो ने देखा कि वह एक नाटा आदमी था ।
और ठीक वैसे ही अचानक क्रूशो ने अपनी याददाश्त में अह चाओ की तस्वीर की एक झलक पाई , और इस तस्वीर में अह चाओ लम्बा था । पुलिसवाले को सभी चिनागो लोग देखने में एक जैसे लगते थे । एक चेहरा दूसरे चेहरे की तरह था । लेकिन लम्बाई और नाटेपन मेंवह अंतर पहचान सकता था । और वह जान गया कि उसने अपने बगल में सीट पर ग़लत आदमी को बिठा रखा था । उसने अचानक खच्चरों की लगाम खींच कर उन्हें रोक लिया जिससे उनके गरदन पर पड़े पट्टे सरक कर ऊपर हो गए और गाड़ी का डंडा आगे निकल गया ।
" आपने देखा , यह एक ग़लती थी ," अह चो ने खुश हो कर मुस्कराते हुए कहा ।
लेकिन क्रूशो कुछ सोच रहा था । उसे पहले से ही अफ़सोस हो रहा था कि उसने गाड़ी क्यों रोक दी । वह मुख्य न्यायाधीश की ग़लती से बेख़बर था और उसके पास इसका हल निकालने का कोई रास्ता भी नहीं था , लेकिन उसे यह मालूम था कि उसे अटिमाओनो ले जाने केलिए यह चिनागो दिया गया था और उसे अटिमाओनो ले जाना उसका कर्तव्य था । क्या हुआ अगर यह ग़लत आदमी था और वे इसका सिर काट देते हैं । कुछ भी हो , आख़िर यह केवल एक चिनागो ही तो था ।
इसके अलावा , हो सकता है कि कोई ग़लती न हुई हो । वह नहीं जानता था कि उससे उच्च अधिकारियों के मन में क्या चलता रहता था । वे अपना कर्तव्य ज़्यादा अच्छी तरह जानते थे । वह उनके लिए सोचने वाला कौन था ? एक बार बहुत पहले उसने उनके लिए सोचनेकी कोशिश की थी , और तब पुलिस अधिकारी ने कहा
था , " क्रूशो , तुम मूर्ख हो । जितनी जल्दी तुम यह समझ जाओ , उतना ही तुम्हारे लिए बेहतर होगा । तुम्हारा काम सोचना नहीं है , तुम्हारा काम आज्ञा का पालन करना है और तुम्हें सोचने का काम अपने से बेहतर लोगों पर छोड़ देना चाहिए । " यह याद आते ही वह खीझगया। साथ ही , अगर वह पपीटे जाने के लिए वापस मुड़ता तो उसके कारण अटिमाओनो में होने वाले प्राण-दण्ड में देरी हो जाती , और अगर उसका वापस लौटना ग़लत साबित होता तो उसे उस पुलिस-अधिकारी से फटकार लगती जो क़ैदी के लिए इंतज़ार कर रहा था । और, इसके अलावा , उसे पपीटे में भी डाँटा जा सकता था ।
उसने खच्चरों को चाबुक मारा और गाड़ी आगे बढ़ा ली । उसने अपनी घड़ी देखी । वह आधा घंटा देर से पहुँचेगा और पुलिस अधिकारी ज़रूर नाराज़ होगा । उसने खच्चरों को तेज़ दौड़ाना शुरू किया । अह चो ग़लती को समझाने की जितनी ज़्यादा कोशिश करता , क्रूशो उतनाही ज़्यादा अड़ियल होता जाता । उसके पास ग़लत आदमी था , इस बात की जानकारी ने उसके मिज़ाज को बेहतर नहीं बनाया । उसकी ग़लती के कारण ऐसा नहीं हुआ था , इस बात की जानकारी ने उसकी इस धारणा को और पक्का किया कि वह जो ग़लत कर रहा था , वहठीक था । और पुलिस अधिकारी का क्रोध अपने ऊपर लेने के बजाए , वह दर्जन भर ग़लत चिनागो लोगों को उनकी दुर्भाग्यपूर्ण नियति की ओर भेजने में ख़ुशी से सहयोग कर देता ।
जहाँ तक अह चो का सवाल है , जब पुलिसवाले ने चाबुक का हत्था उसके सिर पर मारा और ऊँची आवाज़ में उसे बकवास बंद करने का हुक्म दिया , उसके बाद उसके पास चुप रहने के सिवाय और कोई चारा नहीं था । यात्रा चुप्पी के बीच जारी रही । अह चो विदेशी शैतानों केअजीब तरीक़ों पर विचार करने लगा । उन्हें समझना असंभव था । वे उसके साथ जो कुछ कर रहे थे वह उनके बाक़ी सब कामों से मिलता-जुलता था । पहले उन्होंने पाँच बेक़सूर लोगों को अपराधी सिद्ध किया , और उसके बाद वे उस आदमी का सिर काटने जा रहे थे जिसेखुद उन्होंने भी , अपने अँधेरे अज्ञान में , बीस सालों के कारावास से ज़्यादा के योग्य नहीं माना था । और वह इसके बारे में कुछ नहीं कर सकता था । वह केवल ख़ाली बैठ सकता था और ये जीवन के स्वामी जो माप कर दे रहे थे , उसे ले सकता था । एक बार तो वह बेहदसंत्रस्त हो गया और डर से उसके शरीर का पसीना भी बेहद ठंडा हो गया , पर वह काफ़ी कोशिश करके इस भय से उबर आया ।
उसने अपनी क़िस्मत को स्वीकार करने के लिए " यिन चिह वेन " ( शांत-मार्ग की पुस्तिका ) में से कुछ उद्धरणों को याद करने और दोहराने की कोशिश की पर
इसके बदले में उसे अपना सोचने-विचारने और आराम करने का कल्पित-बग़ीचा दिखाई देता रहा । वह इससे तब तक परेशान हुआ जब तक कि उसने खुद को उस कल्पना की बेफ़िक्री में छोड़ नहीं दिया और तब वह कई पेड़ों में हवा से टनटनाती घंटियों को सुनता हुआकल्पना के अपने बगीचे में बैठा रहा । और अचानक अपनी कल्पना में इस तरह बैठे हुए वह " शांत-मार्ग की पुस्तिका " के उद्धरणों को याद करने और दोहराने में सफल हो गया ।
इसलिए अटिमाओनो पहुँचने तक समय अच्छी तरह बीता और घोड़े तेज़ी से चलते हुए मृत्यु-दंड के लिए बनाए गए ढाँचे के पास आ गए जिसकी छाया में अधीर पुलिस-अधिकारी खड़ा था । अह चो को जल्दी से ढाँचे की सीढ़ियाँ चढ़ा कर ऊपर लाया गया । उसने अपने नीचेएक ओर बाग़ान के सभी कुलियों को एकत्र पाया । स्केमर ने फ़ैसला किया था कि यह घटना सबक़ सिखाने के लिए अच्छी रहेगी , इसलिए उसने कुलियों को खेतों से बुला लिया था । जैसे ही उन्होंने अह चो को
देखा , वे धीमे स्वरों में आपस में बड़बड़ाने लगे । उन्होंने ग़लती देख ली पर यह बात उन्होंने अपने तक ही सीमित रखी । इन अबोधगम्य विदेशी शैतानों ने निस्सन्देह अपना इरादा बदल लिया था । एक बेक़सूर आदमी की जान लेने के बजाए वे अब दूसरे बेक़सूर आदमी कीजान ले रहे थे । अह चाओ हो या अह चो , उनमें से कौन था , इससे क्या फ़र्क़ पड़ता था । वे इन गोरे शैतानों को कभी नहीं समझ पाए जैसे गोरे शैतान उन्हें नहीं समझ पाए । अह चो का सिर काट दिया जाना था , पर बाक़ी बचे दो सालों की ग़ुलामी के ख़त्म होने पर वे सबचीन लौट जाने वाले थे ।
स्केमर ने वह कर्तन-यंत्र खुद ही बनाया था । वह बड़ा दक्ष आदमी था । हालाँकि उसने कर्तन-यंत्र पहले कभी नहीं देखा था पर फ़्रांसीसी अधिकारियों ने यन्त्र के काम करने का तरीक़ा उसे समझा दिया था । उसी की राय पर उन्होंने मृत्यु-दंड को पपीटे के बजाए अटिमाओनोमें देने का आदेश दिया था । स्केमर ने दलील दी थी कि अपराध का स्थल ही दंड देने की सबसे बढ़िया सम्भव जगह थी और इसके अलावा बाग़ान के आधा हज़ार चिनागो कुलियों पर इसका हितकर असर पड़ेगा । स्केमर ने जल्लाद बनने के लिए भी स्वेच्छा से अपनी सेवाअर्पित की थी और इस हैसियत से वह अब ढाँचे पर खड़ा हो कर अपने बनाए गए यंत्र का परीक्षण कर रहा था । आदमी के गरदन के आकार का और उतना ही मोटा केले का एक पेड़ कर्तन-यंत्र के नीचे पड़ा था । अह चो मंत्रमुग्ध हो कर देख रहा था । उस जर्मन ने एक छोटीकील घुमा कर चाकू को उस छोटे उत्तंभ के ऊपर तक उठाया जिसे उसने कामचलाऊ ढंग से तैयार किया था । एक मोटी रस्सी के टुकड़े पर झटका लगने से धारदार चाकू ढीला हो गया और पलक झपकते ही वह कौंध कर गिरा और उसने केले के तने को कुशलता से काटदिया ।
" यह कैसे काम करता है ? " ढाँचे के ऊपर पहुँच कर पुलिस-अधिकारी ने सवाल किया था ।
" बड़े ख़ूबसूरत ढंग से ," स्केमर का उल्लसित जवाब था । " लीजिए मैं आपको दिखाता हूँ ।"
उसने दोबारा उस कील को घुमाया जो चाकू को उठाती थी , रस्सी को झटका दिया और चाकू को धड़ाके के साथ नीचे मुलायम पेड़ पर गिरा दिया । पर इस बार वह दो-तिहाई से ज़्यादा आर-पार नहीं हो सका ।
पुलिस-अधिकारी ने क्रोध भरी दृष्टि से से देखा ।" इससे काम नहीं चलेगा ,"
उसने कहा ।
स्केमर ने अपने माथे से पसीना पोंछा । " असल में इसे ज़्यादा भार चाहिए ," उसने घोषणा की । चलते हुए ढाँचे के किनारे तक जा कर उसने लोहार को पच्चीस पाउंड वज़नी लोहे का टुकड़ा लाने का आदेश दिया । जब वह लोहे को चाकू के चौड़े ऊपरी भाग से जोड़ने के लिएझुका तो तो अह चो ने पुलिस-अधिकारी की ओर देखा और उसे मौक़ा मिल गया ।
" माननीय न्यायाधीश ने कहा था कि अह चाओ का सिर काटा जाना था ," उसने बोलना शुरू किया ।
पुलिस-अधिकारी ने अधीरता से सिर हिलाया । वह उस दोपहर को की जाने वाली द्वीप के पवनाधिमुख ओर की अपनी यात्रा के बारे में और मोतियों के व्यापारी लाफ़ियेरे की ख़ूबसूरत नाजायज़ बेटी बर्थे के बारे में सोच रहा था जो वहाँ उसका इंतज़ार कर रही थी ।
" देखिए , मैं अह चाओ नहीं हूँ । मैं अह चो हूँ । माननीय जेलर ने ग़लती कर दी है । अह चाओ एक लम्बा आदमी था और आप देख सकते हैं कि मैं नाटा हूँ ।"
पुलिस अधिकारी ने जल्दी से उसकी ओर देखा और उसे ग़लती का पता चल गया । " स्केमर ," वह आदेश देने के स्वर में चिल्लाया ," इधर आओ ।"
जर्मन घुरघुराया पर अपना काम करते हुए तब तक झुका रहा जब तक कि लोहे का टुकड़ा उससे संतोषजनक ढंग से बँध नहीं गया ।
" क्या आपका चिनागो तैयार है ?" उसने पूछा । " इसको देखो ," जवाब मिला ," क्या यही वह चिनागो है ? "
स्केमर हैरान रह गया । कुछ पलों तक उसने छोटी-मोटी गालियाँ दीं और दुखी हो कर उस चीज़ की ओर देखा जो उसने अपने हाथों से बनाई थी और जिसे काम करता देखने के लिए वह उत्सुक था ।
" इधर देखिए ," उसने अंत में कहा ," हम इस काम को स्थगित नहीं कर सकते । पहले ही मैं उन पाँच सौ चिनागो कुलियों का तीन घंटे का काम खो चुका
हूँ । सही आदमी के इंतज़ार में मैं दोबारा यह सारा समय नहीं खो सकता । चलिए, इस तमाशे को उसी तरह पूरा कर दें । आख़िर यह एक चिनागो ही तो है । "
पुलिस-अधिकारी को दोपहर में की जाने वाली लंबी यात्रा और मोतियों के व्यापारी की बेटी याद आई और वह पूरे मामले पर विचार करने लगा ।
" वे इसके लिए क्रूशो को ज़िम्मेदार ठहराएँगे -- यदि इस बात का पता लगा तो ," जर्मन ने ज़ोर दे कर कहा । " पर इसका पता लगने की सम्भावना बहुत कम
है । किसी भी हालत में अह चाओ तो यह भेद नहीं ही खोलेगा ।"
" क्रूशो पर भी कोई ज़िम्मेदारी नहीं आएगी । " पुलिस अधिकारी ने कहा ।
" ज़रूर जेलर की ही ग़लती रही होगी । "
" तो फिर हमें यह काम पूरा कर देना चाहिए । वे हमें ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकते ।
एक चिनागो और दूसरे चिनागो के बीच अंतर कौन बता सकता है ? हम कह सकते हैं कि जो चिनागो हमें सौंपा गया था , हमने केवल दिए गए निर्देशों को उस पर लागू किया ।
इसके अलावा, मैं वाक़ई उन सभी कुलियों को उनके काम से दोबारा नहीं हटा सकता ।"
वे फ़्रांसीसी में बोल रहे थे और अह चो , जो एक भी शब्द नहीं समझ पाया
था , फिर भी इतना जानता था कि वे उसकी क़िस्मत तय कर रहे थे ।
वह यह भी जानता था कि फ़ैसला पुलिस-
अधिकारी के हाथ में था , और वह उस अधिकारी के शब्दों को ध्यानपूर्वक सुनता रहा ।
" ठीक है ," पुलिस अधिकारी ने घोषणा की । " यह काम पूरा करो । आख़िर वह एक चिनागो ही तो है ।"
" मैं इस यंत्र को एक बार और जाँचने जा रहा हूँ , केवल आश्वस्त होने के
लिए ।" स्केमर ने केले के पेड़ के तने को आगे बढ़ा कर उस चाकू के नीचे कर दिया जो उसने उत्तंभ के ऊपर तक उठा दिया था ।
अह चो ने ' शांत-मार्ग की पुस्तिका ' से सूक्तियाँ याद करने की कोशिश की ।
' मित्रतापूर्वक रहें ' सूक्ति उसे याद आई , पर वह यहाँ लागू नहीं होती थी । वह अब जीवित नहीं रहने वाला था । वह अब मरने ही वाला था । नहीं , यह सूक्ति नहीं चलेगी । ' दुर्भावना को छोड़ दो ' -- सही है पर यहाँ छोड़ने के लिए कोई दुर्भावना थी ही नहीं ।
स्केमर औरबाक़ी लोग बिना किसी दुर्भावना के यह कर रहे थे ।
उनके लिए यह केवल एक काम था जिसे किया जाना था , ठीक वैसे ही जैसे जंगल काट कर साफ़ करना , पानी भरना , और कपास रोपना भी काम थे जिन्हें किया जाना था ।
स्केमर ने रस्सी को झटका दिया और अह चो ' शांत मार्ग की पुस्तिका ' भूल गया ।
चाकू धप्प् से नीचे गिरा और उसने पेड़ को सफ़ाई से काट दिया ।
" सुंदर । " पुलिस-अधिकारी सिगरेट जलाते हुए रुका और चहक कर बोला ," सुंदर, मेरे दोस्त ।"
स्केमर तारीफ़ सुनकर ख़ुश हुआ ।
" आ जाओ , अह चाओ " , उसने ताहिती की भाषा में कहा ।
" पर मैं अह चाओ नहीं हूँ -- " अह चो ने बोलना शुरू किया ।
" बकवास बंद करो ।" जवाब मिला । " अगर तुमने दोबारा अपना मुँह खोला तो मैं तुम्हारा सिर तोड़ दूँगा । "
निरीक्षक ने मुट्ठी बाँध कर उसे धमकाया और वह चुप हो गया ।
विरोध प्रकट करने का क्या फ़ायदा था ? ये विदेशी शैतान हमेशा अपनी मनमानी करते थे ।
उसने अपने शरीर के आकार के सीधे खड़े तख़्ते के साथ खुद को बाँध देने दिया ।
स्केमर ने फ़ीते कस कर बाँध दिए -- इतने कस कर कि फ़ीते चमड़ी को काटने लगे और दर्द होने लगा ।
पर उसने शिकायत नहीं की । यह दर्द ज़्यादा देर तक नहीं रहेगा ।
उसने तख़्ते का हवा में समतल की ओर झुकाया जाना महसूस किया , और अपनी आँखें बंद कर लीं ।
और उसी पल उसे सोचने-विचारनेऔर आराम करने के उसके बगीचे की अंतिम झलक मिली ।
ठंडी हवा बह रही थी , और कई पेड़ों में घंटियाँ हल्के-हल्के टनटना रही थीं । साथ ही चिड़ियाँ उनींदा-सा शोर मचा रही थीं , और ऊँची दीवार के उस पार से गाँव के जीवन की धीमी आवाज़ आ रही थी ।
फिर वह जान गया कि तख़्ता टिक गया था और माँसपेशियों के दबाव और तनाव से उसे मालूम पड़ गया कि वह पीठ के बल लेटा हुआ था । उसने अपनी आँखें खोल लीं ।
अपने ठीक ऊपर उसने धूप में चमकता हुआ लटकता चाकू देखा ।
उसने वह भार देखा जो जोड़ा गयाथा और ध्यान दिया कि स्केमर की गाँठों में से एक सरक गई थी ।
फिर उसने पुलिस-अधिकारी के ज़ोरदार आदेश की आवाज़ सुनी ।
अह चो ने जल्दी से अपनी आँखें बंद कर लीं । वह उस चाकू को नीचे गिरते हुए नहीं देखना चाहता था ।
पर उसने महसूस किया -- तेज़ी सेगुज़र जाने वाले एक बड़े पल में ।
और उस पल में उसने क्रूशो को और जो क्रूशो ने कहा था , उसे याद किया । पर क्रूशो ग़लत था ।
चाकू ने उसे गुदगुदाया नहीं । इससे पहले कि उसका जानना बंद हो जाता , वह इतना जान गया ।
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प्रेषकः सुशांत सुप्रिय
A-5001,
गौड़ ग्रीन सिटी ,
वैभव खंड ,
इंदिरापुरम्,
ग़ाज़ियाबाद - 201014
( उ. प्र. )
मो: 8512070086