भक्तिकाल के संत एवं कवि (प्रथम किश्त) - रामबाबू नीरव तुलसीदास भक्तिकाल के एक मजबूत स्तंभ थे. उन्होंने भगवान श्रीराम तथा संकटमोचन श्री हनु...
सुभाषित सविता प्रबंध काव्य का भव्य लोकार्पण सम्पन्न
नई दिल्ली (28 अगस्त) पिछले दिनों दिल्ली के हिंदुस्तानी भाषा अकादमी में डॉ सविता चड्ढा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर डॉ पुष्पा सिंह बसेन की लि...
सूरदास और बादशाह अकबर का मिलन
भक्तिकाल के संत और कवि (पांचवीं किश्त) -रामबाबू नीरव हिन्दी साहित्य में भक्ति- काल के प्रथम कवि मैथिल कोकिल विद्यापति को माना जाता है. विद...
सूरदास एवं भ्रमरगीत (उपालम्भ)
भक्तिकाल के संत तथा कवि (चतुर्थ किश्त) -रामबाबू नीरव भ्रमरगीत में संग्रहित सूरदास के अधिकांश पदों में श्रृंगार काव्य के एक अनूठे भेद ...
सूरदास और भ्रमरगीत
भक्तिकाल के संत और कवि (तृतीय किश्त) -रामबाबू नीरव सबसे पहले हम यह जान लें कि संत सूरदास ने "भ्रमरगीत" के नाम से कोई भी ग्रंथ नही...
स्वामी वल्लभाचार्य से सूरदास की भेंट
भक्तिकाल के संत और कवि भक्त शिरोमणि सूरदास (द्वितीय किश्त) -रामबाबू नीरव में सूरदास का जीवन -वृत (कृष्ण भक्त के रूप में) गऊघाट पर वल्...
भक्त शिरोमणि सूरदास
(प्रथम किश्त) -रामबाबू नीरव सूरदास कृष्णभक्त कवि, संगीतज्ञ एवं गायक थे. उन्हें हिन्दी साहित्याकाश का चमचमाता हुआ सितारा तथा भ...
आधुनिक भारत के स्वप्नदृष्टा, देश के सातवें प्रधानमंत्री राजीव गाँधी
सद्भावना दिवस पर विशेष - प्रदीप सारंग आजादी प्राप्ति से तीन वर्ष पूर्व 20 अगस्त 1944 को भारत की लौह महिला इन्दिरा गाँधी की गोदी में एक सिता...
जैसी उपभोक्ता की रूचि होती है, वैसा ही बाज़ार का रूख चलता है।
मैं अमेरिका में पिछले 38 वर्षों से हूँ। 15 सितम्बर 1986 के दिन जब मैं पहली बार हवाई जहाज़ में बैठा था, तब सब जगह अंग्रेज़ी का वर्चस्व था। हि...
गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के सूत्रधार : चैतन्य महाप्रभु
भक्तिकाल के कवि और संत -रामबाबू नीरव भारत में भक्तिकाल के प्रणेता महाकवि जयदेव को माना जाता है और उस भक्ति काल की बुनियाद (नींब) को मजबूती प...
वृहद वृक्षारोपण योजना संचालित
बाराबंकी। धरती पर हरियाली बढ़ाने तथा मानव जीवन को स्वस्थ सुखी बनाने हेतु वीणा सुधाकर ओझा महाविद्यालय भयारा रोड, मसौली ने वृहद वृक्षारोपण योजन...
प्रेमचंद की 145 वीं जयंती पर आयोजित विचार गोष्ठी
बाराबंकी। गरीब, निर्धन एवं महिलाएं ही देश की संस्कृति के संवाहक रहे हैं। प्रेमचंद के साहित्य में ऐसे ही पात्रों के माध्यम से संस्कृति को जीव...