ग्रीन रूम के पीछे वाले रास्ते से अभय अपनी धून में भागा जा रहा था. आज की खुशखबरी वह रग्घू काका और रीतेश को सुनाने के लिए व्याकुल हो रहा था. ...
अंतर्नाद एक व्यथित ग़ज़लकार की वेदना
समीक्षा "समीक्ष्य कृति : अंतर्नाद.(ग़ज़ल संग्रह) ग़ज़लकार : शिव शंकर सिंह. प्रकाशक : अभिधा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर -दिल्ली ----------------...
धारावाहिक उपन्यास - दसवीं किश्त: हुस्नबानो
राजीव तमतमाया हुआ आया तो सही, मगर उन लोगों के सामने आते ही उसका सारा आक्रोश हवा में उड़ गया. अभय के समक्ष खड़ा होकर वह विनम्रता से बोला -...
धारावाहिक उपन्यास - नौवीं किश्त: हुस्नबानो
कल्ह की अपेक्षा आज थियेटर में दोगुनी भीड़ थी. "लैला-मजनूं" ड्रामा देखने के लिए लोग उमड़ पड़े थे. पंडाल में तील रखने को भी जगह न बच...
धारावाहिक उपन्यास-आठवीं किश्त: हुस्नबानो
सुबह के चार बज चुके थे. नर्सिंग होम के हॉल में बैठे लोग बाहर हंगामा सुनकर चौंक पड़े. उन लोगों में इंस्पेक्टर वर्मा जी, रीतेश तथा रग्घू के ...
धारावाहिक उपन्यास - सातवीं किश्त: हुस्नबानो
अपने पुत्र अभय राज के ग्यारहवें जन्मदिन पर किशन राज ने पंजाबी बाग स्थित बसुंधरा पैलेस में एक शानदार पार्टी का आयोजन करवाया. इस पार्टी में नृ...
धारावाहिक उपन्यास - छठी किस्त: हुस्नबानो
राज पैलेस....! इस शहर का सबसे आलीशान बंगला. यह बंगला सेठ धनराज जी का है. सेठ धनराज की उम्र लगभग 75 वर्ष की हो चुकी है. इस उम्र में भी वे अपन...
धारावाहिक उपन्यास -पांचवी किश्त: हुस्नबानो
"नृत्य, गीत और संगीत के प्रेमी मित्रों. " माइक पर अमित खन्ना की लरजती हुई आवाज गूंजने लगी -"इंतजार की घड़ियां समाप्त हुई. दि...
धारावाहिक उपन्यास - चौथी किश्त: हुस्नबानो
थियेटर का प्रोग्राम अब पूरे शबाब पर आ चुका था. अमित खन्ना ने गलत नहीं कहा था, इस थियेटर कम्पनी के सभी कलाकार एक से बढ़कर एक थे. खुद अमित खन्...