सद्भावना दिवस पर विशेष
- प्रदीप सारंग
आजादी प्राप्ति से तीन वर्ष पूर्व 20 अगस्त 1944 को भारत की लौह महिला इन्दिरा गाँधी की गोदी में एक सितारा चमका जो भी आगे चलकर अपनी माँ की तरह भारत का प्रधानमंत्री बना और माँ की ही तरह देश की सेवा करते हुए बलिदान भी हुआ। मात्र 40 वर्ष की अवस्था में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गाँधी ने आधुनिक भारत का एक सपना देखा और जो छः निर्णय लिए वे आज भी भारत के विकास की नींव हैं। भारत में सूचना क्रान्ति के प्रणेता तथा कम्प्यूटर क्रांति के जनक राजीव गाँधी ने भारत के डिजिटलीकरण का खाका 1985 में ही खींच दिया था।
युवाओं के हाथ में कम्प्यूटर थमाने की सोंच जब और परवान चढ़ी तो दुनियाँ के सबसे बड़े लोकतंत्र में युवाओं की सक्रिय भूमिका तय करने के लिए मतदान की उम्र 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने वाले राजीव ने देश के युवाओं पर जो भरोसा जताया था उससे भारत के लोकतंत्र को बहुत अधिक मजबूती मिली। इसी तरह विदेश यानी लन्दन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के इम्पीरियल कॉलेज से 1965 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले राजीव ने जब यह सुना कि भारत गाँवों में बसता है तो गाँवों की ओर उनकी दृष्टि गयी और उन्होंने गांवों की खुशहाली और सशक्तीकरण के लिए पंचायतीराज व्यवस्था लागू की। यानी गाँवों के विकास हेतु बजट सीधे गाँवों तक पहुंचने लगा। गांवों को अधिकार मिले कि वे अपने विकास उन्नति की योजना स्वयं बना सकें। साथ ही गाँव के प्रतिभाशाली युवाओं को उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिल सके इस हेतु जवाहर नवोदय विद्यालय स्थापित किये जिनमें कक्षा 6 से 12 तक की निःशुल्क आवासीय व्यवस्था का प्राविधान बना दिया।
भारत की उन्नति की राह में राजीव गाँधी के कदम यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि जबतक भारत की आधी आबादी भारत के विकास में सर्वप्रकारेण सहयोगी नहीं बनेगी तब तक भारत दुनियाँ के अन्य देशों से तुलना नहीं कर सकेगा। अपनी इसी सोंच के तहत उन्होंने 33 प्रतिशत महिला आरक्षण की व्यवस्था का प्राविधान कर दिया। इस प्रकार देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के छः महत्वपूर्ण निर्णय सदा सदा के लिये न सिर्फ अविस्मरणीय बन गए बल्कि आधुनिक भारत के विकास के उच्च शिखर की नींव बन गए। जिन्हें राजीव गाँधी के जन्मदिवस पर याद किया ही जाना चाहिए।
राजीव गांधी के जन्म दिन के अवसर पर 20 अगस्त को सद्भावना दिवस मनाया जाता है। सम्पूर्ण देश अपने इस प्रधानमंत्री को सद्भावना दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित करता है। सद्भावना दिवस पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के द्वारा विशेष आयोजन होता है। दिल्ली में स्थित राजीव गाँधी के समाधि स्थल वीरभूमि में राजीव गाँधी का पूरा परिवार, करीबी मित्र, रिश्तेदार और कांग्रेस पार्टी के मुख्य लोग इक्कठे होते हैं, इसके अलावा देश के और भी दूसरी पार्टी के प्रमुख नेता भी राजीव गाँधी को श्रद्धांजलि देने के लिए वहाँ जाते हैं।
पायलट का बनने का सपना संजोए राजीव अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद भारत वापिस आते हैं और एयर इंडिया में पायलट की नौकरी ज्वाइन कर लेते हैं। राजनीति में अपना करियर बनाने में उनकी कोई रूचि नहीं थी वे एक शांत सुखमय जीवन की कल्पना में मगन थे। 1980 छोटे भाई संजय गाँधी की विमान दुर्घटना में मौत के बाद इन्दिरगाँधी ने राजीव को राजनीति में उतार दिया। अगले ही वर्ष 1981 में उन्होंने अपने भाई की संसदीय सीट अमेठी से सांसद का चुनाव जीतकर राजनैतिक पारी की शुरुआत की। राजनीतिक प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में, राजीव को कांग्रेस पार्टी का महासचिव बनाया गया और 1982 के एशियाई खेलों के आयोजन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। इन दोनों पदों पर रहते हुए अपनी विशिष्ट सोंच से तथा जुटकर कार्य करने की आदत से शीघ्र ही एक बड़ी पहचान खड़ी कर ली। यहाँ यह उल्लेख जरूरी है कि दोनों भाई में जमीन आसमान का अंतर था। जहाँ संजय गाँधी को राजनीतिक रूप से "क्रूर" और "स्वेच्छाचारी" के रूप में जाना जाता था वहीं राजीव गाँधी को एक शांत व्यक्ति के रूप में जाना जाता था जो कि पार्टी के अन्य सदस्यों से परामर्श करते थे और जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचते थे। जबकि संजय गाँधी किसी से राय ही नहीं लेते थे। कुछ लोग मानते हैं कि 1975-77 तक भारत में इन्दिरगाँधी द्वारा घोषित आपातकाल के प्रमुख प्रस्तावकों में संजय गाँधी की मुख्य भूमिका रही है।
प्रधानमंत्री रहते हुए 31 अक्टूबर 1984 में माँ इन्दिरगाँधी की उनके दो सिक्ख अंगरक्षकों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने ऑपरेशन ब्लू स्टार की कार्यवाही से असंतुष्ट होकर हत्या कर दी थी। आपरेशन ब्लूस्टार, हरमंदिर साहिब के स्वर्ण मंदिर से सिख अलगाववादी कार्यकर्ताओं को हटाने के लिए एक भारतीय सैन्य कार्रवाई थी। प्रधानमंत्री इंदिरा जी की हत्या के बाद तत्काल इन्हें प्रधानमंत्री का दायित्व संभालना पड़ता है। इसी वर्ष दिसम्बर में होने वाले लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत कांग्रेस को दिलाकर अपनी क्षमता का झंडा गाड़ दिया। कांग्रेस पार्टी को अब तक का सबसे बड़ा लोकसभा बहुमत मिला था। लोकसभा की 541 सीटों में से 414 सीटें मिल जाना सबके लिए किसी बड़े करिश्मा से कम नहीं था। इस चुनाव में जहाँ राजीव का नेतृत्व उभरकर देश के सामने आया था वहीं इन्दिरगाँधी की हत्या की सहानुभूति ने भी बड़े कारक के रूप में काम किया था।
इन्दिरा गाँधी की हत्या के बाद उस समय के लोगों द्वारा लिया गया यह निर्णय बिल्कुल उचित सिद्ध हुआ जब प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गाँधी ने लीक से हटकर भारत के विकास का एक नया खाका बनाया। और अपनी विशिष्ट सोंच के अनुसार एक-एक कर निर्णय लेने लगे। दूरदृष्टि से लवरेज ये छः निर्णय आज भी भारत को एक नई ऊँचाई प्रदान करने वाले सिद्ध हो रहे हैं। दूरदृष्टि इस मायने में कि राजीव गाँधी के न रहने के अनेक वर्षों बाद भी ये छः के छहों निर्णय भारत को विश्व के समक्ष सक्षम बनाने की दिशा में अत्यंत उपयोगी बने हुए हैं।
राजीव का विवाह 1968 में सोनिया गांधी से हुआ जो उस समय इटली की नागरिक थीं किंतु विवाह के बाद वे भारत में रहने लगीं और अपना नाम बदलकर सोनिया गाँधी कर लिया। कहा जाता है कि राजीव गांधी से उनकी मुलाकात तब हुई जब राजीव कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ने गये थे। राजीव व सोनिया के दो बच्चे हैं। पुत्र राहुल गाँधी का जन्म 1970 में हुआ और पुत्री प्रियंका गांधी का जन्म 1972 में हुआ। वर्तमान में दोनों भाई-बहन भारतीय राजनीति के चमकते चेहरे बने हुए हैं। राहुल गाँधी संसद में नेता विपक्ष हैं तो प्रियंका गाँधी बढ़ेरा भी सांसद हैं एवं पार्टी की महासचिव हैं।
1987 में बोफोर्स घोटाले की चर्चा ने उनकी भ्रष्टाचार-मुक्त छवि को नुकसान पहुँचाया और 1989 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। राजीव गाँधी 1991 में चुनावों तक कांग्रेस अध्यक्ष बने रहे। 21 मई 1991 को सुबह 10 बजे के करीब तमिलनाडु के श्रीपेरुमबुदुर में चुनाव प्रचार के दौरान लिट्टे के एक आत्मघाती हमलावर ने राजीव गाँधी की हत्या कर दी। यह आत्मघाती हमलावर एक महिला थी। यह महिला राजीव गांधी के पाँव छूने के लिए जैसे ही झुकी उसके शरीर में लगा आरडीएक्स फट गया और राजीव गाँधी की मौत हो गई। यह आत्मघाती हमला लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम, लिट्टे ने किया था।
1991 में, भारत सरकार ने राजीव गाँधी को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया। वर्ष 2009 में इंडिया लीडरशिप कॉन्क्लेव में, आधुनिक भारत के क्रांतिकारी नेता का पुरस्कार भी राजीव गाँधी को मरणोपरांत प्रदान किया गया।
भारत के सातवें प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गाँधी के छः महत्वपूर्ण निर्णय जिनसे बदली भारत की तकदीर
सूचना क्रांति
कम्प्यूटर क्रांति
मताधिकार की आयु घटाकर 21 से 18 करना
जवाहर नवोदय विद्यालय
पंचायती राज व्यवस्था
33 प्रतिशत महिला आरक्षण
(लेखक हिंदी दैनिक संदौली टाइम्स के पत्रकार एवं सामाजिक चिंतक तथा साहित्यकार हैं )
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