पश्यन्ती : चार
धारावाहिक उपन्यास - रामबाबू नीरव श्वेता अपने कमरे में आकर औंधे मुंह बिछावन पर गिर पड़ी. उसके पीछे पीछे शबाना भी आ गयी और स्नेह से उसके बाल...
पश्यन्ती : चार
धारावाहिक उपन्यास - रामबाबू नीरव श्वेता अपने कमरे में आकर औंधे मुंह बिछावन पर गिर पड़ी. उसके पीछे पीछे शबाना भी आ गयी और स्नेह से उसके बाल...
समारोह पूर्वक मनाई गई जंगबहादुर वर्मा की चौथी पुण्य तिथि
साहित्यकार प्रदीप सारंग द्वारा लिखित पुस्तक का हुआ विमोचन बाराबंकी(सांस्कृतिक संवाददाता) । श्री गंगा मेमोरियल गर्ल्स डिग्री कालेज पैसार के स...
बतकही : ननद-भौजाई
- डॉ ऊषा चौधरी देखउ जिज्जी ऊ मनई कुल्ला करिकै नल खुल्ला छोड़ि गवा.. पकरि कै मारै का मन करत है। अबै गाड़ी सीटी तौ दिहिस नाहीं हम दौरि कै नल बंद...
जाति की जंजीरें: आज़ादी के बाद भी मानसिक गुलामी आस्था पेशाब तक पिला देती है, जाति पानी तक नहीं पीने देती।
कैसे लोग अंधभक्ति में बाबा की पेशाब को "प्रसाद" मानकर पी सकते हैं, लेकिन जाति के नाम पर दलित व्यक्ति के छूने मात्र से पानी अपवित्र...
पश्यन्ती : तीन
धारावाहिक उपन्यास - राम बाबू नीरव गुलाब बाई के कोठे की शान अनोखी थी और रौनक निराली. किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह कोठे को सजाया गया था. दी...
UPSC टॉपर या जाति टॉपर?: प्रतिभा गुम, जाति और पृष्ठभूमि का बाज़ार गर्म।
देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा अब जातीय गौरव का तमाशा बन चुकी है। जैसे ही रिज़ल्ट आता है, प्रतिभा और मेहनत को धकिया कर जाति, धर्म और ‘किसा...
पश्यन्ती : दो
धारावाहिक उपन्यास - रामबाबू नीरव लखनऊ की यह गली जितनी ही बदनाम है, उतनी ही हसीन भी. जैसे जैसे शाम शब की आगोश में समाती चली जाती है, वैसे व...
रामराज्य की परिकल्पना और हम ( ललित निबंध )
- डॉ मनीष कुमार चौरे भारतवर्ष आस्था और विश्वास कि माटी है । इस आस्था और विश्वास के प्रतिक है राम ! इस माटी के रज-रज में राम बसे हैं और राम...
प्राइवेट सिस्टम का खेल: आम आदमी की जेब पर हमला
भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकार आज निजी संस्थानों के लिए मुनाफे का जरिया बन चुके हैं। प्राइवेट स्कूल सुविधाओं की आड़ में ...