ख़ुदा से माँग दुआ ऐसी ज़िन्दगी दे दे
किसी के वास्ते जो अपनी हर ख़ुशी दे दे।
करे जो दूर अंधेरा दिल-ओ-दिमाग़ो से
ख़ुदा तू ऐसी मुझे कोई रोशनी दे दे।
मिरे हबीब का हर पल हो ज़िक्र होंठो पर
एे मेरे कल्ब मुझे ऐसी बंदगी दे दे।
तिरे बदन की महक से महक उठे
कमरा
तू ऐसे मोके भी मुझको कभी कभी दे दे।
संवार दे जो मिरी उजड़ी ज़ीस्त के गेसू
हयात मेरी मुझे ऐसी ख़ुशदिली दे दे।
वो दौड़ा आये मिरे ग़म की हर ख़बर सुनकर
ऐ मेरे प्यार उसे इतनी बेकली दे दे।
ग़मों का बोझ मुझे अपना तू सभी दे दे।
हरदीप बिरदी
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