नई दिल्ली (वार्ता): सूचना और प्रसारण मंत्रालय डीटीएच, सीएएस और आईपीटीवी जैसे उन माध्यमों के जरिये वयस्क दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई गई आंशिक नग्नता और अश्लीलता वाली विदेशी फिल्मों के प्रसारण को अनुमति देने पर विचार कर रहा है। 

डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) कंडिशनल एक्सेस सिस्टम (सीएएस) और इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन (आईपीटीवी) जैसे डिजिटल माध्यमों में ऐसी व्यवस्था होती है कि उनकी पहुँच बच्चों तक होने से रोका जा सके। सूत्रों के अनुसार इन माध्यमों पर ऐसी फिल्मों के प्रसारण के लिए समय संबंधी कोई बंदिशें नहीं होंगी और ऐसी फिल्में किसी भी समय प्रसारित की जा सकेंगी। दरअसल केबल से चैनलों के प्रसारण के माध्यमों पर वयस्क सामग्रियाँ और ऐसी फिल्में रात ग्यारह बजे से लेकर सुबह चार बजे के बीच ही दिखाई जा सकती हैं भले ही उन्हें भारतीय सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिल चुकी हो। 

हालाँकि मंत्रालय के पास इस तरह का प्रस्ताव पिछले दो साल से लंबित है, लेकिन अब तक इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई। अब सरकार और प्रसारकों के बीच प्रस्तावित कंटेट कोड पर सहमति बन रही है और समझा जाता है कि इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जाएगी, लेकिन इसमें कितना समय लगेगा, यह पता नहीं चला है। इस समय विदेशी भाषाओं की सभी फिल्मों, यहाँ तक कि उन फिल्मों को भी जिन्हें अपने देश से वयस्क फिल्म का प्रमाण-पत्र मिल चुका है, को भारत में दिखाने के लिए भारतीय सेंसर बोर्ड से मंजूरी लेना पड़ती है। केबल टेलीविजन कानून के तहत मौजूदा कार्यक्रम संहिता के अनुसार बोर्ड की मंजूरी लेने के लिए ऐसी फिल्मों के आपत्तिजनक हिस्सों को हटाना या उनमें संशोधन करना पड़ता है। 

सूत्रों का कहना है कि वयस्क विदेशी फिल्मों के उक्त डिजिटल माध्यमों के जरिये प्रसारित करने के प्रस्ताव को लेकर मंत्रालय के अधिकारियों तथा प्रसारकों के शीर्ष निकाय इंडियन ब्राडकॉस्टिंग फाउंडेशन (आईबीएफ) के प्रतिनिधियों के बीच तीन से चार बैठकें होने के बाद ही इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल सकती है। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई तो यह प्रस्ताव कई साल पूर्व दूरदर्शन की ओर से तैयार दिशा-निर्देशों का स्थान ले लेगा। 

इस समय 470 से अधिक चैनलों को आधिकारिक तौर पर देश में प्रसारण की अनुमति दी गई है। इनमें से करीब 45 प्रतिशत चैनल समाचार और सामयिक विषयों पर आधारित हैं और करीब 25 प्रतिशत देशी और विदेशी फिल्मों पर आधारित चैनल हैं, लेकिन इस समय देशभर में पाँच हजार से अधिक स्थानीय केबल चैनल हैं, जिन पर सरकार की निगरानी नहीं रह पाती और कुछ केबल चैनल नियमों का उल्लंघन करके प्रतिबंधित सामग्रियाँ भी प्रसारित कर देते हैं।

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