-डॉ उमेश प्रताप वत्स

आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में देश ने 76 वाँ स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया। लाल किले की प्राचीर से विश्व के सर्वमान्य नेता व भारत के आज तक के सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया भी कि यह महोत्सव कोई सरकारी कार्यक्रम न रहकर जन आंदोलन बन गया है। अटक से कटक तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक चारों ओर बस अमृत महोत्सव की ही धूम थी, कुछ दिखाई दे रहा था तो बस तिरंगा।


शायद ही आजादी के बाद ऐसा महोत्सव देश ने कभी देखा हो जिसमें एक मजदूर भी दियाहडी करने अपनी पुरानी साईकिल पर तिरंगा बाँधकर शान से जा रहा हो। ना ही देश ने ऐसा महोत्सव आजादी के 25 वर्ष पूरे होने पर रजत जयंती के रूप में देखा और न ही 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती के रूप में देखा जो देखा जाना चाहिए था। देश के हर नागरिक ने अपने नये-नये ढंग से गली-गाँव-घरों को सजाया। सोशल नैटवर्क पर भांति-भांति प्रकार की वीडियो वायरल हुई। एक तो अपने दुपहिया वाहन पर सीलिंग फैन लेकर जा रहा था जिसकी पंखुड़ियां तिरंगे से रंगी गई थी और वह हवा में घूमने पर बहुत ही सुन्दर दिखाई दे रहा था। अब इस पंखें वाले को कोई जज्बाती कहे या पागल या अंधभक्त, इसे कोई फर्क नहीं पड़ता, यह तो अपने अलग अंदाज में हर घर तिरंगा कार्यक्रम के संकल्प को उत्साहित होकर निष्ठा से निभा रहा था और अपने इस कारनामें से बेहद खुश था।


जनता के राष्ट्रभक्ति के तिरंगे रंग में रंगे इसी जोश को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 25 साल की यात्रा को देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बताया और इस अमृत महोत्सव से सजे अमृत काल में विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता व नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्य पालन के ‘‘पंच प्राण’’ का आह्वान किया। प्रधानमंत्री के अनुसार देश को विश्वगुरु के पूर्व स्थान पर फिर से स्थापित करने के लिए देश के नागरिकों को पंच प्राण का पालन करना होगा।


प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का 76वां स्वतंत्रता दिवस एक ऐतिहासिक दिन है और यह पुण्य पड़ाव, एक नयी राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का शुभ अवसर है। उन्होंने कहा कि जब वह 130 करोड़ देशवासियों के सपनों को देखते हैं और उनके आगे बढ़ने के जुनून को देखते हैं तो आने वाले 25 साल के लिए देश को ‘पंच प्राण’ पर अपनी शक्ति को पहचानना होगा, अपने संकल्पों को स्मरण रखना होगा तथा अपने सामर्थ्य को केंद्रित कर आगे बढ़ना होगा । लाल किले की प्राचीर से अपनी आवाज बुलंद करते हुए मोदी जी ने कहा कि हमें पंच प्राण को लेकर 2047 तक चलना है। जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरा करने का जिम्मा उठा करके चलना होगा।


अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत।

किसी भी कोने में, मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश है तो हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी।


हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए क्योंकि यही विरासत है, जिसने भारत को स्वर्णिम काल दिया था।


हमें 130 करोड़ भारतीयों में एकता चाहिए न कोई अपना न कोई पराया, एक भारत और श्रेष्ठ भारत के लिए यह प्रण है। नागरिकों के कर्तव्य से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं होते हैं।


प्रधानमंत्री के आह्वान का उद्देश्य भारत को स्वावलंबी बनाकर विश्वगुरु के स्थान पर स्थापित करना है। जिसके लिए भारत को सर्वप्रथम 

विकसित भारत बनना होगा। यह तभी संभव है जब हम गुलामी की हर सोच से मुक्ति पा लेंगे। क्योंकि इस सोच ने कई विकृतियां पैदा कर रखी है, इसलिए गुलामी की सोच से मुक्ति पानी ही होगी। इसके साथ ही हर भारतीय को अपनी विरासत पर गर्व होना ही चाहिए। जब तक सब भारतीय आपस में एकजुटता के साथ नहीं रहेंगे और अपने नागरिक के नाते सभी कर्तव्यों को नहीं निभायेंगे तब तक लक्ष्य तक पहुंचना आसान नहीं है।


प्रधानमंत्री जी के अनुसार जब सपने बड़े होते हैं, जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है, शक्ति भी बहुत बड़ी मात्रा में जुट जाती है और मंजिल हमारे कदमों में होती है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारी का सम्मान करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि हमारी बोलचाल में कुछ विकृति आई है। हम अपने व्यवहार में अक्सर नारी का अपमान करते हैं। नारी का सम्मान करना देश की प्रगति के लिए बहुत आवश्यक है और हमें ऐसे शब्दों का त्याग करना चाहिए, जिससे महिलाओं का अपमान होता हो। 

मोदी जी ने देश को विश्व का सिरमौर बनाने के लिए देशवासियों को राह तो दिखा दी किंतु अब हर हिंदुस्थानी को इसके लिए कमर कसनी पड़ेगी। 


विशेषरूप से मुस्लिम समाज को उलझन से बाहर निकलकर समझना होगा कि वे हिंदुस्थान को अपना देश मानते हैं या नहीं। यदि मानते हैं तो फिर जेहादियों के चंगुल से बाहर निकलना होगा। विचार करना होगा कि देश में हर कत्लेआम के पीछे अधिकांश मुस्लिम नाम ही क्यूँ है। माना कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता किंतु हर आतंकी मुस्लिम क्यूँ पाया जाता है। यदि युवा मुस्लिम बच्चें विदेशी षड्यंत्रकारियों के शिकार हो रहे हैं तो क्या उन षड्यंत्रकारियों के विरुद्ध देश के मुस्लिम विरोध प्रदर्शन करते हैं, उनका बहिष्कार करते हैं यदि नहीं तो फिर कैसे होगी एकता, कैसे होगी एकजुटता। धर्म के नाम पर आये दिन जहर फैलाना जब तक बंद नहीं होगा तो एकजुटता भी नहीं हो पायेगी।


अब समय आ गया है कि हम जेहादियों, आतंकवादियों के साथ-साथ अवार्ड वापसी गैंग, फ्री में रेवड़िया बांटने वाला गैंग, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर तुष्टीकरण करने वाले एवं नक्सलवादी षड्यंत्रकारी कम्यूनिस्ट गैंग से भी सावधान रहें तथा इनका पूर्ण रूप से बहिष्कार करें तभी केवल मंदिर पर बजने वाला भजन 'रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम, ईश्वर अल्लाह तेरे नाम सबको सन्मति दे भगवान' मस्जिद पर भी बज सकेगा और जिस दिन यह भजन मस्जिद पर बजेगा उसी दिन से एक जुटता शुरू हो जायेगी तभी भारत के विकसित राष्ट्र व परम वैभव पर ले जाने का मार्ग प्रशस्त हो पायेगा। 

14 शिवदयाल पुरी, निकट आइटीआइ

यमुनानगर, हरियाणा - 135001

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