मित्र जी ने समकालीन समाज की विसंगतियों को अपने सृजन का हिस्सा बनाया: डॉ. सुधाकर अदीब

लखनऊ (परिकल्पना समय) : स्थानीय प्रेस क्लब में  लक्ष्मण प्रसाद मित्र सेवा संस्थान द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में अवधी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार पंडित सत्यधर शुक्ल को मित्र स्मृति अवधी सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह के साथ ग्यारह हजार रुपये की धनराशि प्रदान की गयी। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ सुधाकर अदीब ने मित्र जी के नाटकों की चर्चा करते हुए कहा कि "मित्र जी ने अवधी और खडी बोली में कुल 15 नाटक और एकांकी लिखे। उनके नाटकों में समकालीन समाज की विसंगतियाँ को बड़े सलीके से दर्शाया गया है।" विशिष्ट अतिथि परिकल्पना समय के प्रधान संपादक रवीन्द्र प्रभात ने कहा कि "ऐसे साहित्यकार बहुत कम देखने को मिले हैं जिनके जीवन और विचार दोनों महान हों। मित्र जी के बारे में मैंने जो सुना है उसके आधार पर यह कहते हुए मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है कि उन्होंने जैसा जीया वैसा लिखा।" कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार विजय प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि "आधुनिक अवधी की गौरवशाली परंपरा में लक्ष्मण प्रसाद मित्र का नाम अग्रगण्य है। वे मूलत: ग्राम्य संस्कृति और श्रम संस्कृति के गायक थे।"


कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ संत लाल ने मित्र जी को अवधी लोक जीवन का कुशल चितेरा बताते हुए उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर विहंगम प्रकाश डाला। वहीं आराध्य शुक्ल ने भी मित्र जी से जुड़े संस्मरण पटल पर रखे। कार्यक्रम के संयोजक डॉ राम बहादुर मिश्र ने सभी आगत अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि "मुझे मित्र जी पर कार्य करते हुए अपार खुशी हुई। मनोरमा साहू जी के द्वारा अपने पिता की रचनाओं को समाज के सामने की यह कोशिश उल्लेखनीय उपलब्धि है।" 

कार्यक्रम में अर्जुन पांडेय, डॉ शोभा मिश्रा, डॉ विंध्यमणि, अनिल मिश्र, कुमार तरल, विष्णु शर्मा, अरुण तिवारी, रजत वर्मा, राकेश गुप्ता, अशोक साहू, प्रति साहू और अवध भारती संस्थान के उपाध्यक्ष पप्पू अवस्थी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप सारंग ने किया। 

(सांस्कृतिक संवाददाता की रपट) 

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