अवधी किहानी-
- प्रदीप महाजन
राम लखन अउर रामदुलारे दुइ सगे भाय, एक पुरवा मइहां अपनी महतारी साथे रहत रहैं। जब लरिका छोटि-छोटि रहैं तब्बै उनके बप्पा भगवान घरै सिधारि गए। अम्मा बड़ी मेहनति से दूनौ लरिकन का पालि-पोसि कै बड़ा किहिनि। दूनौ भाइन मा आपस मा बहुतै प्यार रहै। दूनौं जने साथेन खेतवा जांय औ साथेन काम करैं। ई बरे नहीं कि पटेइती रहै बल्कि ई बरे कि आपस मा प्यार बहुत रहै। दूनौं जने साथेन खाना तक खात रहैं। समय के पंख तौ लागिन हुअत हैं ऊ बड़ी तेजी से उड़त जाय रहा रहै। रामलखन बियाह करै लायक होइगे तौ देखुआ आवै लागि। पड़ोस के गांवै से उनका बियाह तय होइगा। छोटि भाय रामदुलारे बहुतै खुश, बियाहे भरि दुगुनी ऊर्जा से काम करिनि। जौ घर मा नई बहुरिया आई तौ पूरा घर खुशियन से भरिगा।बहुरिया भी सबकै खुब खयाल रखै। अब अम्मौ का आराम मिला। धीरे-धीरे दुइ साल बीतिगे। ई दुइ सालन मा कच्चे घर की दुइ कोठरी पक्की होय गईं। अउर अब घर मा नवा मेहमान आवै कै सुगबुगाहट भी होइगै। सब जने बहुतै खुश रहैं।मुला बहुरिया का थोरई दूरि कुइयां से पानी भरै जाय का परत रहै, जेहिका देखि कै दूनौ भइया परेशान हुअत रहैं।
एकु दिन राम दुलारे की भौजी दुलारे से कहिनि कि तुम पंचे अतना कमात हौ मुला कउन फायदा, जब यहू हालत मां कुइयां से पानी भरिकै लावै का परत है। तुम्हरे पंचेन के रुपयन मा आगि लागै। एक बंबा नहीं लगवाय सकत हौ तौ ई कमाई का कहौ ओढ़ी कहौ बिछाई। या बात रामदुलारे केरे करेजे मा लागि कि का हम पंचे एक बंबौ नहीं लगवाय सकित है। भौजी सही कहत हैं। मनै-मन रामदुलारे कहिनि कि आजुइ भैया से कहित है, बंबा काल्हिन लागी। संझा का जौ दूनौ भइया खाना खाय बैठि तौ रामदुलारे बंबा कै प्रस्ताव रक्खिनि। मन तौ रामलखनौ का रहै मुलु अम्मा का डेरात रहैं ई बरे उपरै मन से कहिनि, बंबा केरि कउन जरूरत है कुइयां से पानी तौ मिलतै है। अब अम्मा बोलि परी कि अतने साल से हम पानी भरिति रहै तौ कुछू नहीं भवा, का कउनौ पहाड़ टूटि परा। हमार पीरा तौ कोऊ का नहीं देखानि अब ई आंई है तौ इनकी खातिर बंबा लागी। अम्मा कै बात सुनिकै राम लखन तौ चुपाई मारिगे मुलु दुलारे बोलि परे, बंबा लागी तौ सबका आराम मिली। जब कब्बो भउजी अपने मइके जइहै तौ तुमहू का दुआरेन पानी मिलि जाई। पहिले अतनी ताबि नहीं रहै तौ नहीं लाग अब कमाइत है तौ कउन दिक्कति। का तुमका नीक लागत है कि ई हालत मा भउजी अतनी दूरि से पानी भरिकै लावैं। दुलारे कै बात सुनिकै अम्मा शांत परी, कुछू नहीं बोली। फिरि का अगिलेन दिन बंबा लागै क्यार पूरा सामान आय गवा। मिस्त्री दुइ दिन बादि आवा औ बंबा लगाय दिहिसि। रामदुलारे बड़ी दूरि का सोंचिन रहैं कि काल्हि का हमरिव मेहरुआ आई तौ वहू का कुइयां से पानी ना भरै का परी।
खैर समय अपने हिसाब से बीतति रहा, अउर रामलखन के घरै खुशियन कै बड़ा मौका आवा, काहे से कि राम लखन बप्पा बनिगे औ रामदुलारे चाचा। उनके घरै नवा मेहमान आया गवा। लरिका भवा तौ छठ्ठी, बरहा मइहा दूनौ भाय जू खोलि कै खरचा करिनि। लरिकवा केरि नाक बड़ी नीकि रहै तौ सब जने वहिका नक्कू कहै लागि। धीरे-धीरे छा महिना बीति गए, अब अम्मा का रामदुलारे के बियाहे कै चिंता सतावै लागि तौ राम लखन से कहिनि कि छोटकयेव कै बियाह करि डारौ। लखन कहिनि अम्मा छठ्ठी बरहा मा कुछ ज्यादै खर्च होइगा, तौ साल भरे के बादि बियाह करब मुलु अम्मा नहीं मानी। कहिनि भइया हमरी जिनगी कौनव भरोसा नहीं है आजु मरी काल्हि दूसर दिन। यहै सोंचित है दुसरिव बहुरिया देखि लेइत तौ परान निकरती। अब लखन का ब्वालैं, नाते रिश्तेदारन मा बताय दिहिनि कि दुलारे लायक कउनिव लड़की होई तौ बताएव, बियाह करबे हन। लोग तौ पहिलेन से निगाह लगाए रहैं कि मेहनती लरिका है, सीध- साध है अउर कउनौ ऐबौ नहीं है। महिनै भरे मा दुलारे कै बियाह तय होइगा। लखन छोट भाय कै बरात धूमधाम से निकारिनि, भले करजा लियै का परा मुलु कउनिव कसरि नहीं राखिन।
अब घर कै काम दूनौ बहुरिया करैं अउर बाहेर कै काम दूनौ भाय। जहां सुमति हुअत है हुंवा बरक्कति तौ होइतै है। अगिले तीन चारि साल मा खुब तरक्की भै, मुलु यहु सुख अम्मक नहीं बदा रहै उइ दुलारे के बियाहे के छहै सात महिना बादि स्वर्ग सिधारि गईं रहीं। अम्मा रहैं तौ दूनौ बहुरियन पर दबाव रहै, मुला अब ऊ अंकुश नहीं रहिगा। देवरानी जेठानी मा कबौ-कबौ मनमुटाव हुवै लाग, मुलु लखन औ दुलारे तक बात नहीं पहुंचै पावत रहै। समय के साथे बदलाव तौ होइतै है अब दुलारेव बप्पा बनै वाले रहैं। उनहूँ के लरिकै भवा तौ वहिका नाम नक्कू से मिलाय कै कक्कू रक्खा गवा। अब दुलारे की मेहरुआ का अपने लरिका केरे भविष्य कै चिंता सतावै लागि, काहे से घर के पुरिखा उनके जेठ अउर पुरखिनि जेठानी रहैं। अब उइ दुलारे से रोजुइ कहैं कि भइया-भाभी केरे चक्कर मा कक्कू का ना भूलि जाएव, मुलु रामदुलारे तनिकौ ध्यान न दियैं। जब मन मा कौनिव परकार कै दुरभावना आवत है तौ बइठै नहीं दियत है। अब देवरानी जेठानी मइहा काम धंधा का लइकै पटेइती शुरू होइगै अउर आए दिन दूनौं जनिन के बीच तू-तू-मैं-मैं हुवै लागि। दुलारे कै मेहरुआ तौ अलगेउझा खातिर परेशानै रहै वइसी लखनौ कै मेहरारू लखन पर अलग हुवै का दबाव बनावै लागि।
शुरू-शुरू मइहा तौ दूनौं भाइन के मन मा तनिकौ नहीं रहै कि अलगेउझा हुवै मुलु रोज-रोज की खिचिर पिचिर से नीक रहै कि अलगै रहा जाय। अब अम्मौ नहीं रहैं कि कुछ डांटि फटकारि कै, समझाय बुझाय कै परिवार का बांधे रहती। साल भरि खटापट चली मुलु दूनौ भाय अलग नहीं भए। अब दूनौ मेहरुवै अपने-अपने मरद के कान भरै का शुरू कै दिहिनि औ दूनौ भाइन के बीच गलतफहमी कै देवार खड़ी होइगै। नौबत या आयगै कि मेहरुअन की लड़ाई मा दूनौ भाय कूदै लागि। ई लड़ाई झगड़ा से नीक रहै कि अलगेउझै होइ जाय। दूनौ भाय बंटवारा खातिर राजी होइगे। घर दुआर सब आधा-आधा बॅंटि गवा, मुलु दुआरे कै बंबा बीचौ बीच परिगा। लखन कहिनि बंबा हम लगवाएन रहै तौ बंबा हमरे हिस्सा मा रही जबकि दुलारे बोले कि हम ना कहित तौ बंबा लगबै ना करतै। हमारि मेहनत ज्यादा रहै तौ बंबा हमरे हिस्सा मा आई। बंबा खातिर दूनौ जनेन मा कहा-सुनी अतनी बढ़िगै कि दूनौ जने मार-पीट कै लिहिनि। तब तक दुलारे कै दुलहिनि, 112 नम्बर मिलाय दिहिसि। पुलिस आई तौ वहौ समझाइसि मुलु दूनौ जने नहीं माने। अब पुलिस का करतै दूनौ जनेन का गाड़ी मा बैठाय लिहिसि औ लइ जायकै हवालात की यक्कै कोठरी मा बंद करि दिहिसि। राति भरि दूनौं जने नहीं सोए, स्वावैं कइसै नींदै नहीं परी।पुराने दिनन कै यादि आवै लागि औ दूनौ जने राति भरि बतलानि। अब बचपन की बातैं, प्यार दुलार याद आवै लाग। कइसै दूनौ जने एक दुसरे पर जान छिरकत रहैं सब यादि आवै लाग।साथ-साथ रहै औ बढ़ै क्यार संघर्ष, मड़हा कइहां पक्के मकान मा बदलै कै कहानी सब यादि आवै अउर दूनौ जने की आंखिन से गंगा जमुना बहैं। वह राति दूनौ जने खातिर आत्म-मंथन कै राति रहै। आंखिन से निकरी गंगा जमुना मइहां सब शिकवा, शिकाइत औ गलतफहमी बहिगै। जतनी दुश्मनी रहै वहिसे कइव गुना ज्यादा, भाइन कै प्यार उमड़ि आवा। दूनौं जने नफरत कै देवार ढहाय चुके रहैं औ फैसला करि चुके रहैं, चहै दूनौ मेहरिया चली जांय मुलु अलगेउझा ना होई। जइसै सबेर भवा औ कोतवाल साहेब आए, दूनौ भाय हाथ जोरि कै बोले साहेब ई कोठरी मा बिताई गै राति हम दूनौ जने की आँखी खोलि दिहिसि है। अब हमरे बीच कै दुश्मनी भी खतम होइ चुकी है लिहाजा हमका छोड़ि दीन जाय।
थाने से घर अउतै खन दूनौ जने अलगेउझा केरि देवार गिराय दिहिनि, वहिके बादि अपनी अपनी दुलहिनि से साफ-साफ कहि दिहिनि साथे रहै का हुवै तौ रहौ ना रहै का हुवै तौ आपनि-आपनि रस्ता लियौ। अब, जब तक हम दूनौ जने जिंदा हन तब तक तौ अलगेउझा ना होई। या बात सुनतै दूनौ जनिन की आँखिन से गंगा जमुना बहि निकरी काहे से कि उनहू दूनौ जनी राति भरि नहीं सोई रहैं। उनहू दूनौ जनिन कै गुस्सा ठंड भवा तौ पुरानी बातै यादि आवै लागीं। अपनी-अपनी गलती कै अहसास भवा।यक्कै राति मा समझ आय गवा जौनु सुख साथे रहै मा है, ऊ सुख अलगेउझा करिकै कब्बौ ना मिली। दूनौं जनी साथेन बोलि परी तुमार पंचेन कै फैसला सिर माथे है। हम अपने लरिकन कै कसम खाइत है, देवरानी-जेठानी नहीं बहिनी-बहिनी बनिकै रहब। अब शिकायत का मउका ना द्याबै।
आजु अम्मा तौ नाहीं हैं मुल जहाँ होइहैं, यहु सब देखिकै अम्मा की आत्मा का बहुतै शांति मिली।
( लेखक, बेसिक शिक्षा विभाग मा शिक्षक हैं अउर प्रसिद्ध मंचीय हास्य कवि हैं।
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