गोवा: गोवा के मुख्यमंंत्री मनोहर पर्रिकर का 63 साल की उम्र में निधन हो गया। वे आखिरी सांस तक काम करते रहे। एक ऐसा व्यक्तित्व जो अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे।  

पर्रिकर लंबे समय से अग्नाशय कैंसर से पीड़ित थे और बीते एक सालों में उन्होंने इस बीमारी का इलाज देश-विदेशों में कराया, लेकिन आखिर में वो जिंदगी की जंग हार गए। उन्होने 63 साल की उम्र में अपने निजी आवास पर अंतिम सांस ली।  यह खबर सुनते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी सहित देश के सभी नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया।   

पर्रिकर मार्च 2017 में रक्षा मंत्री का पद छोड़कर चौथी बार गोवा के मुख्यमंत्री  बने थे। भारतीय राजनीति में उनकी पहचान 'मिस्टर क्लीन' के रूप में होती है। बेहद सरल और बिना तामझाम के जीवन जीने वाले मनोहर  हमेशा जनता से जुड़े रहने की कोशिश करते रहे हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले मनोहर पर्रिकर का जन्म 13 दिसंबर 1955 के मापुसा में हुआ था। उनका पूरा नाम मनोहर गोपालकृष्णन प्रभु पर्रिकरथा। आमतौर पर कहते हैं कि भारतीय राजनीति में पिछले कुछ वर्षों में कम पढ़े-लिखे लोग आ रहे हैं, लेकिन मनोहर पर्रिकर ने 1978 में IIT मुंबई से ग्रेजुएशन किया। 

मनोहर पर्रिकर का सोमवार को पूर्ण सैन्य और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी। गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एस के शाही ने रविवार के जारी एक आदेश में कहा कि रक्षा मंत्रालय से पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया है। शाही ने एक परिपत्र में कहा, ''सरकार ने फैसला लिया है कि दिवंगत हस्ती का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

मनोहर पर्रिकर का जन्म और शिक्षा
मनोहर पर्रिकर का जन्म 13 दिसंबर 1955 को गोवा के मापुसा में हुआ था। उन्होंने आईआईटी मुंबई से इंजीनियरिंग डिग्री हासिल की थी। वह अपने स्कूलों के दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में शामिल हो गए थे और अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने आरएसएस की युवा शाखा के लिए भी काम करना शुरू कर दिया था। स्कूल से पास होने के बाद उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू कर दी।

मनोहर पर्रिकर का राजनीतिक सफर
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक बार फिर उन्होंने आरएसएस को अपनी सेवा देना शुरू कर दिया जिसके बाद उन्हें बीजेपी पार्टी का सदस्य बनने का मौका मिला और उन्होंने बीजेपी पार्टी की तरफ से पहली बार चुनाव भी लड़ा। बीजेपी ने पर्रिकर को साल 1994 में गोवा की पणजी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया और इस चुनाव में जीत मिली। गोवा में बीजेपी की जड़ें जमाने वाले पर्रिकर पहली बार 1994 में विधायक बने थे, तब पार्टी की सिर्फ चार सीटें हुआ करती थीं, लेकिन 6 साल के भीतर ही गोवा में भाजपा को पहली बार पर्रिकर ने सत्ता दिला दी और वे मुख्यमंत्री बन गए।

मनोहर पर्रिकर भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक थे। 24 अक्टूबर 2000 को वे पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 5 जून 2002 को वे दोबारा मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए। वे गोवा के गृह, कार्मिक, सामान्य प्रशासन और शिक्षामंत्री भी रहे। 2005 में वे विपक्ष के नेता रहे और 2007 में पुन: चुने गए।

अभी मनोहर पर्रीकर गोवा के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन थे उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद की शपथ 14 मार्च 2017 को ली थी। इससे पहले भी वह 2000 से 2005 तक और 2012 से 2014 तक गोवा के मुख्यमंत्री के साथ ही वे बिजनेस सलाहकार समिति के सदस्य भी रह चुके हैं। 2014 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देकर बीजेपी की मोदी सरकार में रक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया था।

सादगीपूर्ण जीवन और ईमानदारी के कारण पर्रिकर ने लोगों के दिलों में खास छाप छोड़ी
सीएम के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान सादगीपूर्ण जीवन और ईमानदारी के कारण उन्‍होंने लोगों के दिलों में खास छाप छोड़ी। वह काम के धुनी थे कोई काम अंजाम तक पहुंचाने से पहले चैन से बैठना उन्‍हें पसंद नहीं था। इतना ही नहीं, सरकारी कामकाज के लिए वे चार्टर्ड फ्लाइट की बजाय नियमित फ्लाइट से ही जाना पसंद करते थे। गोवा के मुख्‍यमंत्री रहते हुए उन्‍होंने आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं प्रारंभ की थी। प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए उन्‍होंने अपने कार्यकाल में काफी प्रयास किए थे।

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