मेरी कठिन तपस्या का प्रतिफल है- तिष्यरक्षिता

तिष्यरक्षिता का शीघ्र ही *लोकार्पण* होगा पुपरी में आयोजित होनेवाले भव्य साहित्यिक समारोह *साहित्योत्सव* में.

तिष्यरक्षिता कहानी है एक ऐसी युवती की जिसने भारत के महान मौर्य राजवंश के माथे पर कलंक का टीका लगा दिया.

तिष्यरक्षिता कहानी है कलिंग राज्य की उस कुशल नृत्यांगना की जो महान मौर्य सम्राट प्रियदर्शी अशोक द्वारा कलिंग युद्ध के दौरान किये गये महाविनाश का प्रतिशोध लेने के लिए पिता तुल्य सम्राट की पत्नी बन जाती है, परंतु अपनी कामोत्तेजना को नहीं रोक पाती और राज महिषी से कुलटा बन जाती है.

तिष्यरक्षिता कहानी है एक ऐसी युवती की जो अपनी कामाग्नि में जलती हुई अपने ही सौतेले पुत्र की सुन्दर ऑंखों पर सम्मोहित हो जाती है.

तिष्यरक्षिता एक उन्मादी स्त्री की असफल प्रेम की त्रासदीपूर्ण प्रेम गाथा है.

मेरा यह छठा ऐतिहासिक उपन्यास शीघ्र ही आपके हाथों में होगा, प्रतीक्षा करें. 

-रामबाबू नीरव

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