विश्व श्रमिक दिवस के अवसर पर हाइकु-गंगा के तत्वावधान में प्रथम ऑनलाइन हाइगा कार्यशाला सम्पन्न हुई। इस कार्यशाला में एक से बढ़कर एक चिन्तन परक हाइगा प्रस्तुत हुए। इस प्रकार की यह प्रथम कार्यशाला थी। इस अवसर पर कार्यशाला की आयोजक सुप्रसिद्ध हाइकुकार डॉ. मिथिलेश दीक्षित ने बताया कि भाव, भाषा और प्रस्तुति में विषय पर केन्द्रित सभी हाइगा अत्यन्त प्रभावपूर्ण रहे। यथार्थ का अंकन करने के कारण विविध रंग, रूपों में मर्म का स्पर्श करने में समर्थ रहे। संवेदनशीलता ही कवि और सुधी पाठक की पहचान होती है। काव्य और कला दोनो का अपूर्व सम्मिलन सदा-सदा के लिए साहित्य में अंकित हो जायेगा। यह प्रथम और अद्वितीय समारोह सभी की सहभागिता के कारण बहुत विशिष्ट हो गया।

आकाशवाणी बरेली की निदेशक प्रसिद्ध हाइकुकार मीनू खरे ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर आयोजित हाइगा कार्यशाला कई दृष्टिकोणों से उत्साहवर्धक रही। आयोजन यह सिद्ध कर गया कि समूह में गम्भीर चिन्तन और रचनात्मकता के अंडरकरेंट्स हैं, जो अवसर मिलने पर मुखर होकर सामने आते हैं। चित्र और शब्दों का साम्य हाइगा को अभिव्यक्ति की श्रेष्ठ ऊँचाई प्रदान करता है। परिकल्पना समूह के निदेशक डाॅ. रवीन्द्र प्रभात ने इसे अभूतपूर्व कार्यक्रम बताया और विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया। नागपुर से चर्चित कवयित्री इन्दिरा किसलय ने कार्यक्रम को एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि एक पार्श्व लाॅकडाउन में लाखों प्रवासी मजदूरों के दर्द का, दूजा रचनाधर्मी मन की वेदना का, हाइगा जैसी लघुतम काव्य विधा में आग्नेय सच को वाणी देने की समर्थ पहल के लिये साधुवाद स्वीकारिए। हाइगा के दृश्य कथ्य के अनुकूल स्वरों का संपादन कर गये हैं।इस सराहनीय पहल का हृदय से स्वागत है।

कटक से कवयित्री पुष्पा सिंघी ने कहा कि इन रचनाओं में जीवन की व्यथाओं के मार्मिक पक्षों का चित्रण है। डाॅ. कल्पना दुबे ने कार्यक्रम को अत्यन्त स्तरीय बताते हुए कहा कि रचनाकारों के हाइगा भाव, भाषा और अभिव्यक्ति में विषय को सार्थक कर रहे हैं। लखनऊ से हाइकुकार डॉ. सुरंगमा यादव ने भी सहभागियों की सराहना करते हुए कहा कि हाइगा कार्यशाला ने विविध भावों के रंग बिखेरे हैं। मैनपुरी से वरिष्ठ रचनाधर्मी डॉ. आनन्द प्रकाश शाक्य ने समग्र समारोह की विस्तार से समीक्षा प्रस्तुत की। अंजु निगम ने इसे हिन्दी हाइगा का प्रथम और भव्य समारोह बताया। सत्या सिंह ने इसको काव्य संसार का अनूठा कार्यक्रम बताते हुए कहा कि इन रचनाओं के माध्यम से श्रम का एक अनूठा और जीता-जागता उदाहरण इतिहास के पन्नों में दर्ज हुआ है। इस अद्भुत साहित्य यात्रा में सहभागिता करना गौरव की बात है।

इस हाइगा कार्यशाला के संयोजक डॉ.शैलेष गुप्त 'वीर' ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व श्रमिक दिवस के अवसर पर हाइकु-गंगा द्वारा आयोजित प्रथम हाइगा कार्यशाला में सभी की सहभागिता ने इस आयोजन में रंग भर दिये। यह रंग हम सबके चिन्तन का प्रतिफल है। साहित्य भूषण आदरणीया डॉ. मिथिलेश दीक्षित दीदी के नेतृत्व में यह रंग नयी ऊर्जा और नयी चेतना से हम सबको सराबोर करेगा, पूर्ण विश्वास है। इस प्रकार की यह कार्यशाला अपने आप में अनूठी और पहली है। इस प्रकार की कार्यशालाएँ/आयोजन निरन्तर होते रहेंगे। इस कार्यशाला में डॉ. मिथिलेश दीक्षित, डॉ. रवीन्द्र प्रभात, डॉ. सुरंगमा यादव, डॉ. आनन्द प्रकाश शाक्य, निवेदिता श्रीवास्तव, अंजु निगम, मीनू खरे, डॉ. कल्पना दुबे, डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर', पुष्पा सिंघी, सत्या सिंह, इन्दिरा किसलय, डॉ. सुभाषिनी शर्मा, डॉ. सुकेश शर्मा, सरस दरबारी, वर्षा अग्रवाल आदि अनेक हाइकुकारों के हाइगा पटल पर प्रस्तुत हुए।

0 comments:

Post a Comment

 
Top