'मुझ से ज्यादा आज भी कोई नहीं लिख पाता '- जयपुर लिट फेस्ट में बोले अनुराग कश्यप
जयपुर. लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन की शुरुआत मशहूर फिल्म डायरेक्टर अनुराग कश्यप के साथ हुई। हिटमैन नाम के इस सेशन में उन्होंने अपनी लाइफ और फिल्मोग्राफी की कई बातें शेयर की। अनुराग कश्यप के सेशन की शुरुआत उनके होम टाउन बनारस पर चर्चा के साथ हुई। 

इसके बाद अनुराग कश्यप ने बताया कि हम लोगों को बच्चों की तरह ट्रीट करते हैं। जिसे उन्हे हमेशा से दिक्कत रहती है। मेरे लिए कोई दूसरा क्यों चुने क्या अच्छा है और क्या बुरा है। जब हम एक एडल्ट की बात करते हैं तो उसकी डेफिनेशन क्या है। हमने एडल्ट को एक उम्र तक बांध रहा है। उनके बाद भी हम उन्हे एडल्ड की तरह ट्रीट नहीं करते हैं। उसके बाद भी हमारी सोच उन पर थोपते रहते हैं। इसके आगे उन्होने कहा कि उन्हे उस आदमी से सबसे ज्यादा डर लगता है जो बैठकर सोचता है कि वो सब जानता है। 

अनुराग ने मुंबई की अपनी जर्नी पर बताया कि जब वे यहां आए उन्हें नहीं पता था क्या करना है। थिएटर करता था तो एक्टिंग एक ऑपशन था। उन्होंने बताया कि मेरी हिंदी इतनी साफ थी कि मुझे रोल मिलने लग गए। नाटक मिलने लगे। 1993 में वे मुंबई गए और दिसंबर में उन्हे फिल्में मिल गईं। खुद को परदे पर देखकर खराब लगता था। जिसके बाद उन्होंने डिसाइड किया कि वे परदे पर नहीं आएंगे। उन्होंने बताया कि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में लेंग्वेज को स्पोकन करना शुरू किया। इससे पहले उर्दू से डायलोग हिंदी में ट्रांसलेट किए जाते थे। 

अनुराग कश्यप ने कहा कि वो लिखते बहुत ज्यादा थे। उनसे ज्यादा आज भी कोई नहीं लिख पाता है। एक दिन में 100 पन्ने लिख देता था। उस समय नए नए डेली सोप चालू हुए थे। डेली सोप के लिए दिन में तीन एपिसोड लिख कर दे देता था। जब फिल्म की शूटिंग के लिए स्क्रिप्ट नहीं होती थी तो लोग मेरे पास आते थे।

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