- डॉ ऊषा चौधरी

देखउ जिज्जी ऊ मनई कुल्ला करिकै नल खुल्ला छोड़ि गवा.. पकरि कै मारै का मन करत है। अबै गाड़ी सीटी तौ दिहिस नाहीं हम दौरि कै नल बंद करिकै आइत है। कहिकै भौजी चलि दिहिन। हम कहतै रहि गयेन कि अबहिनै गाड़ी चलि देई तौ ? भौजी कहाँ सुनै वाली भला। अस चीजै देखि कै भौजी के भीतर उबाल आयिन जात है। बेमतलब का पानी का बहब, हमसे द्याखा नाहीं देखि जात है। बात यह है जिज्जी!  ई लोग जउन आजु पानी कै कदर नाहीं करि रहे हैं ई सब काल्हि पछितइहैं। हमार अम्मा कहत रहीं पानी बदला ल्यात है। अब आप स्वांचौ, सबेरे उठेव पानी न मिलै तौ जिंदगी एक घंटा न चलि पाई। खाब पियब छोड़ि देव सबेरे का जरूरी काम। साफ-सफाई कुछो तो नाहीं होइ सकत है। ईका मतलब सबसे जरूरी तो पानी है। अइसने थ्वारे कहत हैं- जलै जीवन आय।

हां भौजी सही कहेव अब जैसे गरमी आय रही है। अपने देश मां जहां पानी कै कमी है  हुवाँन किलोमिटरन दूर से मूड़े पर तीन चार घड़ा धरि कै मेहेरियन का पानी लावै का परति है। ई तना से जब हम मेहेरियन का पानी लावत देखित है तो करेजा मुहि का आय जात है। माने मनई तौ  चलौ साईकिल ते बाल्टी लटकाई कै लै आवत हैं मुला उनका औरो काम करे का परत है। अब तुमका का बताई हमार याक सखी है उई आय तो हमार सहेली मुला उनके याक आदत हमका बहुतै ख़राब लागत है। उई टुल्लू सबेरेन-सबेरे चलाय दिहिन टंकी भरिगै फिरौ पानी चलाए रहिहैं। माने चलतै पानी मां कपड़ा हिलकोरि रही हैं। बरतन महरी से धोवावत रहिहैं, टुल्लू चलि रहा है। यू जानौ दसियन बाल्टी पानी अइसेन बहुवाई देति हैं रोजै। हम एक बार मना कीन तौ कहिन हमार चलत पानी मां काम करइ कै आदत है।

यू तो जाई देव जिज्जी हमरे पड़ोसी का हाल सुनव उनका बेटवा रोजै पाईप लगाई कै आपन चार पहिया गाड़ी अऊ स्कूटी धोवावत है फिर गाड़ी मा साबुन लगावा जाई फिर धोवावा जाई ऊके बाद पाईपै से जमीन धोइ जाई जो  झाडू लगाई दें तो अतना पानी न लागै। यू सब देखि-देखि हमार जू परचि जात है। मुला हम कहित नाही हन। काहे से हमार उनसे पटरी कम बैठत है। अब पानी कै बात चली है भौजी तो हमार बिटिया पटेल स्कूल पढ़ाई करै जात है। हुवाँन उनके एनएसएस कैम्प मा रोज बड़ी-बड़ी जानकारी वाली बातें बताई जाती हैं। तो बिटीवा कहत रही कि अम्मा आज एक गेस्ट आए रहे उई बताइम कि हमरे देश की बड़ी-बड़ी नदियन का पानी घटत जाय रहा है अउर सुनौ उनकी धारा कै चाल धीमी हुवत चली जाय रही है काहे से कि पानी मां बड़े-बड़े उद्योगन से निकला कचरा कै मिलावट हुवत जाय रहा है। जैसे लोहा, सीसा, तांबा, पारा औ यही पानी से खेती सींची जाय रही है। इहे सब हमरे सबके सरीर मा जाय रहा है। तबै तो अतनी बीमारी बढ़त जाय रही हैं।

ए जिज्जी हम कहूं से जानेन कि दिल्ली के जमुना नदी कै हालत तो बहुतै खराब हुवत जाय रही है जउन देस कै राजधानी आय यही तना गंगा मैया जउन दुनियाभर मा सबसे पवित्र हैं उनहूँ का जल कहूं कहूँ पियय वाला नहीं रहिगा है। ऊ सब  तो ठीक है  हम सुनेन है कि यू जानि लेव अबकी जो अगर बड़ी लड़ाई माने जी का विश्व युद्व कहत हैं ऊ पानिन की खातिर लड़ा जाई ई लिए अबहि से जो पानी बचावे के बारे मा न सोचा गवा तौ लड़ाई मा मनई मरी। तौ हमरी जान मा यहु हाल न हुवै पावै, हम सबकै बड़ी जिम्मेदारी है। है कि नाहीं। हमहूँ हुँकारी भरेन। तबतक टेशन देखाय परै लाग। भौजी ! हम पंचेन की बतकही मा समय नाही जानि परा, गाड़ी टेसन पर आयगै। अरे हियाँ तौ बादर छाये हैं चलौ जल्दी से घर पहुँचा जाय नहीं तौ भीजै का परी। मौसम विभाग बताइस रहा कि बेमौसम झमाझम बरसात होइ सकत है।

 

(लेखिका, हिंदी अवधी साहित्यकार हैं। मुंशी रघुनंदन प्रसाद सरदार पटेल महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बाराबंकी की प्रिंसिपल हैं।)

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