लेकिन जनता चुप नहीं बैठी, लाखों लोग सड़कों पर उतर आए, सरकारी दमन चला, गोलियां चलीं, लाठीचार्ज हुआ, लेकिन आंदोलन और उग्र हो गया। इस झड़प में 6 लोगों की मौत हो गई और 80 से ज्यादा घायल हुए। स्थिति इतनी गंभीर हुई कि काठमांडू में कर्फ्यू लगाना पड़ा।
नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत दूसरे शहरों में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान अब तक 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ बड़ी संख्या में युवा खासकर जेनरेशन Z (18 से 28 साल) सड़कों पर उतर आए हैं।
सोमवार सुबह 12 हजार से ज्यादा प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में घुस गए। इसके बाद सुरक्षा बलों ने कई राउंड फायरिंग की। संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री आवास के आसपास कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। काठमांडू प्रशासन ने तोड़फोड़ करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश भी जारी किए।
नेपाल के इतिहास में संसद में घुसपैठ का यह पहला मामला है। बढ़ते दबाव के बीच सरकार ने सोशल मीडिया एप्स पर लगाए गए बैन को हटा दिया है।
अब सरकार को मजबूरी में सोशल मीडिया का बैन हटाना पड़ रहा है, क्योंकि जनता का गुस्सा संभाले नहीं संभल रहा।
यह घटना कोई पहली बार नही हो रहा है, पिछले ही साल बांग्लादेश में भी ऐसी ही घटना घटी थी, तख्तापलट हुआ था, भ्रष्टाचार और तानाशाही के खिलाफ जनता का गुस्सा फूटा था, लाखों लोग सड़कों पर उतरे, तोड़फोड़ हुई, सरकारी इमारतों पर हमला हुआ। नतीजा यह हुआ कि सरकार की कुर्सी ही पलट गई, सत्ता बदलनी पड़ी।
प्रदर्शन के साथ मृतकों की संख्या बढ़ रही है । अभी वो जुलूस निकाल रहे है के अमेरिकी दल्ले को निकालो ।
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