लगभग बीस साल बाद तीन पुरानी सहेलियाँ— नीलू, रेखा और कविता कॉफ़ी कैफ़े में मिलीं। कॉलेज के दिनों की मस्ती याद करते-करते बात अचानक पतियों पर आ गई।
नीलू हँसते हुए बोली, “मैंने अपने पति को शादी से पहले आठ साल तक जाना, सोचा अब सब समझ लिया। लेकिन शादी के बाद पता चला कि मैं तो उन्हें सिर्फ़ 8% ही जानती थी। नए-नए रंग रोज़ सामने आते रहे।”
रेखा ने भी ठंडी साँस भरते हुए कहा, “अरे! मेरे तो सिर्फ़ दो साल की जान-पहचान थी। तब लगा बहुत कुछ जान लिया है, लेकिन शादी के बाद समझ आया, असल में मैं उन्हें मुश्किल से 2% ही समझ पाई थी।”
दोनों हँसते-हँसते कविता की ओर देखने लगीं। कविता शांति से कॉफ़ी का घूँट भरते हुए बोली, “तुम दोनों भाग्यशाली हो, कम-से-कम प्रेम का स्वाद तो चखा। मैंने तो अब तक वो स्वाद भी नहीं चखा। हाँ, पति की रोज़-रोज़ एक जैसी आदतों का ‘धैर्य-रस’ ज़रूर पी रही हूँ। बाइस साल से एक ही स्वाद— बिना शक्कर की कॉफ़ी जैसा।”
तीनों ज़ोर से हँस पड़ीं। नीलू ने मज़ाक में कहा, “लगता है हमारी ज़िंदगी की कॉफ़ी में सबसे अलग स्वाद कविता के पास ही है।”
परिचय – नीलमणि
निवासी - मवाना रोड, मेरठ (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल नंबर -9412708345
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