(79 वें स्वतंत्रता दिवस पर विशेष आलेख)
स्वतंत्रता अहसास है अपने होने का, इसकी अनुभूति का अहसास प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए क्योंकि स्वतंत्रता का अर्थ केवल बाहरी बंधनों से मुक्ति नहीं है, बल्कि यह स्वयं के अस्तित्व, स्वयं की पहचान और अपने होने का गहन बोध है। यह भावना तब और भी प्रबल हो जाती है जब व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों में स्वतंत्र महसूस करता है।किसी भी राष्ट्र में रहने वाले नागरिकों को स्वतंत्रता की अनुभूति तभी होती है जब वह राष्ट्र स्वयं स्वतंत्र होता है। स्वतंत्रता का बोध किसी भी राष्ट्र के नागरिकों के लिए तभी है, जब राष्ट्र में कानून का राज स्थापित होता है। भारत की आजादी की प्राप्ति एक सुनहरे भारत के भविष्य से साक्षात्कार थी, क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम एक लम्बा, भारत की धरोहर और संस्कृति को बचाने का संघर्ष था। किसी भी देश में रहने वाले नागरिकों के लिये स्वतंत्रता एक अनमोल उपहार है और इसका सम्मान करना तथा इसे संजोकर रखना प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है। स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, इसी दिन हमारा हिन्दुस्तान आज से 78 साल पहले 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से स्वतंत्र हुआ था। इसी दिन हमारे वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने हमें अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। हमें आजादी दिलाने के लिए न जाने कितने वीर वीरांगनाओं ने अंग्रेजों की अमानवीय यातनाओं व अत्याचारों का सामना किया और देश की आजादी के लिए अपनी आहुतियां दी। यह दिन ऐसे ही वीर-वीरांगनाओं को याद करने का दिन है। इस दिन का भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए एक विशेष महत्व है, इस दिन हर भारतवासी अपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करता है, जिनके खून पसीने और संघर्ष से हमें आजादी नसीब हुई। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर हिंदुस्तान में जगह -जगह हवा में लहराता झंडा हमें स्वतंत्र भारत का नागरिक होने का अहसास कराता है। इस साल 78 वां स्वतंत्रता दिवस होने की वजह से इस दिन की महत्वता और बढ़ जाती है। आजादी से लेकर आज तक भारत देश ने कई उतार-चढाव देखे है और हर प्रकार की परिस्थिति में अपने गौरव को बढ़ाया है व विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान बनाई है।
स्वतंत्रता के मायने हर नागरिक के लिए अलग-अलग होते हैं, कोई व्यक्ति स्वतंत्रता को अपने लिए खुली छूट मानता है, जिसमे वो अपनी मर्जी का कुछ भी कर सके, चाहे वो गलत हो या सही हो। लेकिन स्वतंत्रता सिर्फ अच्छी चीजों के लिए होती है। बुरी चीजों के लिए स्वतंत्रता अभिशाप बन जाती है, इसलिए स्वतंत्रता के मायने तभी हैं जब स्वतंत्रता में मर्यादा, चरित्र और समर्पण का भाव हो। अगर स्वतंत्रता में मर्यादा, चरित्र और समर्पण ही नहीं है तो यह आजादी देश और समाज में बलात्कार, छेड़खानी, हत्या, हिंसा, दंगे और मॉब लिंचिंग आदि जैसी घटनाओं के अंजाम के लिए जिम्मेदार होती है। स्वतंत्रता दिवस के दिन देश के युवा पतंगें उड़ा कर आजादी का जश्न मनाते हैं। हवा में लहराती पतंगें संदेश देती हैं कि हम आजाद देश के नागरिक हैं। पर क्या तिरंगा फहराकर या पतंग उड़ाकर आजादी का अहसास हो जाता है? क्या भारत में हर किसी को आजादी से जीने का हक मिल पाया है? हमें आजादी मिली, उसका हमने क्या सदुपयोग किया। लोग पेड़ों को काट रहे हैं। बालिका भ्रूण की हत्या हो रही है। सड़कों पर महिलाओं पर अत्याचार होते हैं। शराब पीकर लोग देश में सड़क हादसों को अंजाम देते हैं और दूसरे बेगुनाह लोगों को मार देते हैं। जालसाल व षड्यंत्रकारी लोग झूठे आरोपों से बेगुनाह और मासूम लोगों को फसाने का प्रयास करते है और संविधान का दुरूपयोग करते हैं। ये कैसी आजादी है, जहां एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के अधिकारों का हनन कर रहा है।
बेशक भारत को स्वतंत्र हुए 78 साल हो गए हों, लेकिन आज भी हमारे आजाद भारत देश में बाल अधिकारों का हनन हो रहा है। छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाने की उम्र में काम करते दिख जाते हैं। आज बाल मजदूरी समाज पर कलंक है। इसके खात्मे के लिए सरकारों और समाज को मिलकर काम करना होगा। साथ ही साथ बाल मजदूरी पर पूर्णतया रोक लगानी चाहिए। बच्चों के उत्थान और उनके अधिकारों के लिए अनेक योजनाओं का प्रारंभ किया जाना चाहिए। जिससे बच्चों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव दिखे और शिक्षा का अधिकार भी सभी बच्चों के लिए अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। गरीबी दूर करने वाले सभी व्यावहारिक उपाय उपयोग में लाए जाने चाहिए। बालश्रम की समस्या का समाधान तभी होगा जब हर बच्चे के पास उसका अधिकार पहुंच जाएगा। इसके लिए जो बच्चे अपने अधिकारों से वंचित हैं, उनके अधिकार उनको दिलाने के लिये समाज और देश को सामूहिक प्रयास करने होंगे। आज देश के प्रत्येक नागरिक को बाल मजदूरी का उन्मूलन करने की जरूरत है। देश के किसी भी हिस्से में कोई भी बच्चा बाल श्रमिक दिखे, तो देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह बाल मजदूरी का विरोध करे और इस दिशा में उचित कार्यवाही करें साथ ही साथ उनके अधिकार दिलाने के लिये प्रयास करें। देश का हर बच्चा कन्हैया का स्वरुप है, इसलिए कन्हैया के प्रतिरूप से बालश्रम कराना पाप है। इस पाप का भगीदार न बनकर देश के हर नागरिक को देश के नन्हे-मुन्नों को शिक्षा का अधिकार दिलाना चाहिए जिससे कि हर बच्चा बड़ा होकर देश का नाम विश्व स्तर पर रोशन कर सके।
भारत देश में कानून बनाने का अधिकार केवल भारतीय लोकतंत्र के मंदिर भारतीय संसद को दिया गया है। जब भी भारत में कोई नया कानून बनता है तो वो संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से पास होकर राष्ट्रपति के पास जाता है। जब राष्ट्रपति उस कानून पर बिना आपत्ति किये हुए हस्ताक्षर करता है तो वो देश का कानून बन जाता है। लेकिन आज देश के लिए कानून बनाने वाली भारतीय लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था भारतीय संसद की हालत दयनीय है। जो लोग संसद के दोनों सदनों में प्रतिनिधि बनकर जाते हैं, वो लोग ही आज संसद को बंधक बनाये हुए हैं और उनमें से अधिकतर लोग लोकतंत्र के मन्दिर भारतीय संसद की मर्यादा को तार-तार करते हैं व विश्व समुदाय के सामने देश के गौरव को कलंकित करने का काम करते है। जब भी संसद सत्र चालू होता है तो संसद सदस्यों द्वारा चर्चा करने की बजाय हंगामा किया जाता है और देश की जनता के पैसों पर हर तरह की सुविधा पाने वाले संसद सदस्य देश के भले के लिए काम करने की जगह संसद को कुश्ती का अखाड़ा बना देते हैं, जिसमें पहलवानी के दांव पेचों की जगह आरोप प्रत्यारोप और अभद्र भाषा के दांव पेंच खेले जाते हैं। जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। आज जरुरत है कि देश के लिए कानून बनाने वाले संसद सदस्यों के लिए एक कठोर कानून बनना चाहिए। जिसमें कड़े प्रावधान होने चाहिए, जिससे कि संसद सदस्य संसद में हंगामा खड़ा करने की जगह देश की भलाई के लिए अपना योगदान दें। आज हमारे जनप्रतिनिधि आम जनता के प्रतिनिधि न होकर सिर्फ और सिर्फ अपने और अपने लोगों के प्रतिनिधि बनकर खड़े होते हैं, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। एक स्वतंत्र गणतांत्रिक देश में जनप्रतिनिधियों से देश का कोई भी नागरिक ऐसी अपेक्षा नहीं करता है। हर जनप्रतिनिधि का फर्ज है कि वह अपने और अपने लोगों का प्रतिनिधि बनने की बजाय अपने क्षेत्र की सम्पूर्ण जनता के प्रतिनिधि बने और देश के सभी जनप्रतिनिधियों को न्यायप्रिय शासन करना चाहिए, जिसमें समाज के हर तबके के लिए स्थान हो तभी हमारी स्वतंत्रता अक्षुण्ण रह पाएगी।
बेशक हम अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हों लेकिन आज भी देश महिलाओं को पूर्णतः स्वतंत्रता नहीं है, आज भी देश में महिलाओं को बाहर अपनी मर्जी से काम करने से रोका जाता है। महिलाओं पर तमाम तरह की बंदिशे परिवार और समाज द्वारा थोपी जाती हैं जो कि संविधान द्वारा प्रदत्त महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों का हनन करती है। आज भी देश में महिलाओं के मौलिक अधिकार चाहे समानता का अधिकार हो, चाहे स्वतंत्रता का अधिकार हो, चाहे धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार हो, चाहे शिक्षा और संस्कृति सम्बन्धी अधिकार हो; समाज द्वारा नारियों के हर अधिकार को छीना जाता है या उस पर बंदिशे लगायी जाती हैं, जो कि एक स्वतंत्र देश के नवनिर्माण के लिए शुभ संकेत नहीं है। कोई भी देश तब अच्छे से निर्मित होता है जब उसके नागरिक चाहे महिला हो या पुरुष हो उस देश के कानून और संविधान को पूर्ण रूप से सम्मान करे और उसका कड़ाई से पालन करे। आज बेशक भारत विश्व की उभरती हुई शक्ति है। लेकिन आज भी देश काफी पिछड़ा हुआ है। देश में आज भी कन्या जन्म को दुर्भाग्य माना जाता है, और आज भी भारत के रूढ़िवादी समाज में हजारों कन्याओं की भ्रूण में हत्या की जाती है। सड़कों पर महिलाओं पर अत्याचार होते हैं। सरेआम महिलाओं से छेड़छाड़ और बलात्कार के किस्से भारत देश में आम बात हैं। कई युवा (जिनमें भारी तादात में लड़कियां भी शामिल हैं) एक तरफ जहां हमारे देश का नाम ऊंचा कर रहे हैं। वहीं कई ऐसे युवा भी हैं जो देश को शर्मसार कर रहे हैं। दिनदहाड़े युवतियों का अपहरण, छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न कर देश का सिर नीचा कर रहे हैं। हमें पैदा होते ही महिलाओं का सम्मान करना सिखाया जाता है पर आज भी विकृत मानसिकता के कई युवा घर से बाहर निकलते ही महिलाओं की इज्जत को तार-तार करने से नहीं चूकते। इस सबके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार शिक्षा का अभाव है। शिक्षा का अधिकार हमें भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के रूप में अनुच्छेद 29-30 के अंतर्गत दिया गया है। लेकिन आज भी देश के कई हिस्सों में नारी शिक्षा को सही नहीं माना जाता है। नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के साथ भारतीय समाज को भी आगे आना होगा। तभी देश में अशिक्षा जैसे अँधेरे में शिक्षा रुपी दीपक को जलाकर उजाला किया जा सकता है। जब नारी को असल में शिक्षा का अधिकार मिलेगा तभी नारी इस देश में स्वतंत्र होगी। गीता में कहा गया है कि ‘‘सा विद्या या विमुक्तये।’’ अर्थात विद्या ही हमें समस्त बंधनों से मुक्ति दिलाती है, इसलिए राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए बिना भेदभाव के सभी को शिक्षा का अधिकार दिया जाना चाहिए। आज लड़कियां हर क्षेत्र में देश का नाम रौशन कर रही है, अगर लडकियों को उनकी प्रतिभा के अनुसार अवसर दिये जायें तो ये तादाद और बढ़ सकती है। देश में जरुरत है लडकियों को अवसर देने की, जिससे कि वो अपने अवसर को सफलता में बदल सकें।
भारत देश बेशक एक स्वतंत्र गणराज्य सालों पहले बन गया हो। लेकिन इतने सालों बाद आज भी देश में धर्म, जाति और अमीरी गरीबी के आधार पर भेदभाव आम बात है। लोग आज भी जाति के आधार पर ऊंच-नीच की भावना रखते हैं। आज भी लोगों में सामंतवादी विचारधारा घर करी हुयी है और कुछ अमीर लोग आज भी समझते हैं कि अच्छे कपड़े पहनना, अच्छे घर में रहना, अच्छी शिक्षा प्राप्त करना और आर्थिक विकास पर सिर्फ उनका ही जन्मसिद्ध अधिकार है। इसके लिए जरूरी है कि देश में संविधान द्वारा प्रदत्त शिक्षा के अधिकार के जरिए लोगों में जागरूकता लायी जाये। जिससे कि देश में धर्म, जाति, अमीरी-गरीबी और लिंग के आधार पर भेदभाव न हो सके। इसके अलावा कुछ अराजक/जालसाज लोग जिनके अंदर कुटिलता कूट-कूट कर भरी है वो समाज में संविधान और उसके अन्तर्गत दिए गए अधिकारों का दुरुपयोग करते है। जो कानून या अधिकार देश के अंतिम लोगों के अधिकारों के संरक्षण के लिए बनाये गए हैं उनका अनुचित उपयोग देश में कुछ दिमागी रूप से बीमार लोगों द्वारा अपनी राजनीति को चमकाने व ख्याति पाने के लिए किया जा रहा है, जो लोग इस प्रकार का कृत्य करते हैं वो लोग समाज और देश में वैमनस्यता फैलाने का काम कर रहे हैं। यह बिल्कुल भी एक सभ्य और सुलझे हुए समाज के लिए सही नहीं हैं। देश में संविधान द्वारा प्रदत्त कानूनों का दुरूपयोग करने वाले लोग राष्ट्र विरोधी ताकतों के साथ मिलकर देश का का नाम विश्व स्तर पर खराब करने के लिए एक मिशन के तहत काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों और राष्ट्रविरोधी ताकतों को नेस्तनाबूद करने के लिए देश के हर जाति व वर्ग के लोगों को आगे आना होगा और एकजुटता के साथ ऐसे मानसिक रूप से बीमार लोगों को मुँह तोड़ जवाब देना होगा, तभी हम अपने राष्ट्र को ऐसी ताकतों से सुरक्षित रख पाएंगे नहीं तो ये ताकतें देश के टुकड़े -टुकड़े कर देंगीं ।
पूरे विश्व को मालूम है कि भारत देश एक स्वतंत्र देश है यहाँ जो भी नीतिगत फैसले लिए जाते हैं- चाहें वो विदेश नीति हो या दूसरे देशों के साथ व्यापर नीति, वो भारत सरकार द्वारा बिना किसी के दवाब में स्वतंत्र रूप से देश के नागरिकों के हित में लिए जाते हैं लेकिन आज भी कुछ पश्चिमी देश भारत को अपना गुलाम समझने की भूल करते है। ऐसे देशों को यह अहसास होना चाहिए कि भारत देश 21वीं सदी का भारत है, जो कि किसी के सामने न झुकता है न घुटने टेकता है बल्कि वह विश्व के अग्रिम देशों की पंक्ति में खड़ा है। भारत देश विश्व की राजनीति व कूटनीति में एक अहम् स्थान रखता है और अगले कुछ सालों में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसलिए भारत पर दादागिरी दिखाने वाले पश्चिमी देशों को अपनी नीति व हरकतों में सुधार करने की जरूरत है, उन्हें समझना होगा कि भारत के नीतिगत फैसले देश के नागरिकों के हितों को देखकर लिए जाते हैं न कि किसी भी देश के दबाव में। चाहे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर टैरिफ थोपा जाना होए इससे भारत देश झुकने वाला नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि भारत देश एशिया में अमेरिका की कठपुतली बनकर काम करे लेकिन आज के परिदृश्य में यह नामुमकिन है । अगर डोनाल्ड ट्रंप ने इस टैरिफ विवाद का पटाक्षेप नहीं किया तो यह आने वाले दिनों में खुद अमेरिका के लिए जी का जंजाल बन जाएगा। अगर भारत देश के नागरिकों ने अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया तो यह अमेरिका के लिए सही नहीं होगा। यह अमेरिका निर्धारित नहीं करेगा कि भारत को किस देश से व्यापार करना है।
स्वतंत्रता दिवस प्रसन्नता और गौरव का दिवस है इस दिन सभी भारतीय नागरिकों को मिलकर अपने लोकतंत्र की उपलब्धियों का उत्सव मनाना चाहिए और एक शांतिपूर्ण, सौहार्दपूर्ण एवं प्रगतिशील भारत के निर्माण में स्वयं को समर्पित करने का संकल्प लेना चाहिए। क्योंकि भारत देश सदियों से अपने त्याग, बलिदान, भक्ति, शिष्टता, शालीनता, उदारता, ईमानदारी, और श्रमशीलता के लिए जाना जाता है। तभी सारी दुनिया ये जानती और मानती है कि भारत भूमि जैसी और कोई भूमि नहीं, आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है। जिसका विश्व में एक अहम स्थान है। आज का दिन अपनी सेना व वीर जवानों को भी नमन करने का दिन है जो कि हर तरह के हालातों में दुष्मनों से लडकर सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित और स्वतंत्र महसूस कराते हैं, इसका सबसे बड़ा उदहारण हाल के दिनों में ऑपरेशन सिन्दूर है। साथ-साथ उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करने का भी दिन हैं, जिन्होंने हमारे देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई।
आज 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान और गणतंत्र के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहरानी चाहिए और देश के समक्ष आने वाली चुनौतियों का मिलकर सामूहिक रूप से सामना करने का प्रण लेना चाहिए। साथ-साथ देश में शिक्षा, समानता, सदभाव, पारदर्शिता को बढ़ावा देने का संकल्प लेना चाहिए। जिससे कि देश प्रगति के पथ पर और तेजी से आगे बढ़ सके।
- ब्रह्मानंद राजपूत
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