पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव में हिंसा के दौरान जलाया गया वाहन (फोटो: पीटीआई)
मुंबई (परिकल्पना समय): महाराष्ट्र के पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में इस साल के शुरुआत में हुई हिंसा के संबंध में दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएंगे. मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने बीते मंगलवार को विधानसभा में यह भी स्पष्ट किया था कि भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े गंभीर मामले वापस लेने का निर्णय जांच के लिए गठित समिति द्वारा ही लिया जाएगा. हालांकि मुख्यमंत्री फड़णवीस ने हिंसा भड़काने के आरोपी और शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के संस्थापक संभाजी भिड़े के बारे में कुछ नहीं कहा. 

मालूम हो कि संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे हिंसा भड़काने के आरोपी हैं. फड़णवीस ने कहा है कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी कानून-व्यवस्था) की अध्यक्षता में एक समिति गठित करेगी, जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी और उसके बाद निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने यह भी साफ कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. मराठी अखबार लोकसत्ता की खबर के अनुसार, भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में 58 मामले दर्ज किए गए थे और कुल 162 गिरफ्तारी हुई थी. 

 मुख्यमंत्री ने बताया कि भीमा-कोरेगांव हिंसा में राज्य को लगभग 13 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. विशेष तौर पर भीमा-कोरेगांव में 9 करोड़ 45 लाख और 15 रुपये का नुकसान हुआ है, जिसमें दलितों को एक करोड़ से ज्यादा, मुस्लिम समुदाय का लगभग 85 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने यह भी साफ किया है कि हिंसा के दौरान जिनका नुकसान हुआ है, उनको सरकार की तरफ से आर्थिक मदद दी जाएगी.

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