(Representational Image: Reuters)
नई दिल्ली (परिकल्पना समय): फेसबुक के करीब 5 करोड़ यूजर्स के डेटा के गलत इस्तेमाल की जानकारी सामने आते ही हड़कंप मच गया है। रिसर्च करने वाली कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका पर फेसबुक यूज़र्स के डेटा के गलत इस्तेमाल का आरोप है। सोशल साइट फेसबुक के करीब 5 करोड़ यूजर्स के डाटा के गलत इस्तेमाल की जानकारी सामने आते ही हड़कंप मच गया है। ऐसे में अब लोगों में इस बात की चिंता बढ़ गई है कि लोगों का डाटा फेसबुक पर कितना सुरक्षित है। फेसबुक यूजर्स यह जानना चाहते हैं कि फेसबुक का इस्तेमाल जारी रखें या अकाउंट डिलीट कर दें।

फेसबुक डाटा स्केंडल की जद में भारतीय राजनीति भी आ चुकी है। बीजेपी ने 2019 आम चुनाव के लिए कांग्रेस पर क्रैंब्रिज एनालिटिका की सेवांए लेने का आरोप लगाया है। बीजेपी ने राहुल गांधी के सोशल प्रोफाइल का कैंम्ब्रिज एनालिटिका से जुड़ने पर सवाल उठाया है। कांग्रेस जहां बीजेपी के आरोपों को बेबुनियाद बता रही है। वहीं बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर कैंब्रिज एनालिटिका से संबध होने का आरोप लगाया। रविशंकर प्रसाद ने कहा ” मैं कांग्रेस से सवाल पूंछता कि क्या वो चुनाव जीतने के लिए डाटा चोरी या डाटा मैन्यूपुलेशन का इस्तेमाल करेगी। साथ ही कांग्रेस ये बताए कि राहुल गांधी के प्रोफाइल में कैंब्रिज एनालिटिका का क्या रोल है।”

फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने बुधवार को कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल मामले में गलती स्वीकार करते हुए कहा कि यह विश्वासघात का मामला है जुकरबर्ग ने फेसबुक पोस्ट कर कहा, “मैं कैंब्रिज एनालिटिका को लेकर अपनी बात रखना चाहता हूं। हम इस दिशा में समस्याओं से निपटने के लिए जरूरी कदम उठा लिए हैं. मैं यह समझने की कोशिश की दिशा में काम कर रहा हूं कि असल में हुआ क्या और इसे दोबारा होने से कैसे रोका जाए

ब्रिटिश कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका पर आरोप है कि उसने 5 करोड़ फेसबुक यूजर का पर्सनल डेटा हासिल करके, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में डॉनल्ड ट्रंप के लिए जीत का माहौल बनाया। इसी कंपनी पर ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने के अभियान ‘ब्रेग्जिट’ और कई देशों के चुनावों को प्रभावित करने के आरोप हैं। 

बतौर वोटर प्रोफाइलिंग कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका 2013 में अस्तित्व में आई। 2016 में इसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में डॉनल्ड ट्रंप के समर्थन में कैंपेन चलाने के लिए हायर किया गया। रॉबर्ट मर्सर नाम के इन्वेस्टर ने कंपनी को 15 मिलियन डॉलर दिए। रॉबर्ट मर्सर का नाम रिपब्लिकन पार्टी के लिए कैंपेन चलाने में आया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में साइकॉलजी के प्रफेसर एलक्जेंडर कोगन की कंपनी ग्लोबल साइंस रिसर्च ने यूजर्स डेटा को शेयर करने के लिए कैंब्रिज एनालिटिका से डील की। कोगन की कंपनी के बनाए गए ऐप thisisyourdigitallife ने 2014 में फेसबुक यूजर्स को एक साइकोलॉजिकल क्विज में हिस्सा लेने का झांसा दिया। 2,70000 यूजर्स ने इस ऐप पर जाकर क्विज में हिस्सा लिया। आरोप है कि कोगन की कंपनी ने इन यूजर्स का फेसबुक पर्सनल डेटा एक्सेस कर लिया। साथ ही साथ यूजर्स के फ्रेंड्स के डेटा में भी सेंध लगाई गई।

फेसबुक को इसकी खबर लग गई थी। उसने कैंब्रिज एनालिटिका से डेटा डिलीट करने को कहा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी ने डेटा डिलीट नहीं किया। फेसबुक ने भी अपने यूजर्स, जिनका डेटा चुराया गया था, उन्हें कोई अलर्ट नहीं भेजा। 

अमेरिकी अखबारों में बीते काफी समय से इसको लेकर रिपोर्ट्स छप रही थीं। बीते सप्ताह संडे गार्जियन ने कैंब्रिज एनालिटिका के पूर्व कर्मी और विसल ब्लोवर के हवाले से मामला ओपन कर दिया। किनका डेटा चोरी हुआ यह अभी साफ नहीं है। इसमें कई देशों के यूजर्स हैं। लेकिन यह पता चल पाया है कि जिन यूजर्स की प्राइवेसी सेटिंग्स मजबूत नहीं थी, उनका ही डेटा एक्सेस किया गया है। 

यूजर्स को सलाह दी गई है कि वे ऐसे क्विज में ही हिस्सा लें, जो किसी जानी-मानी वेबसाइट्स या ऐप की ओर से कराया जा रहा हो। क्योंकि इन ट्रिक्स के जरिए आपका पर्सनल डेटा एक्सेस किया जाता है।

फेसबुक पर अपना डेटा ऐसे रखें सुरक्षित: 

कई बार आप किसी थर्ड पार्टी साइट पर लॉगइन करने के लिए फेसबुक के जरिए लॉगइन करते हैं। ऐसा करने से बचें, क्योंकि भले ही यह आसान तरीका हो, लेकिन सुरक्षित नहीं है। लॉगइन करने से यूजर्स ऐप डिवेलपर को अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर मौज़ूद जानकारियों को एक्सेस करने की अनुमति दे देते हैं। किसी भी गेम या क्विज या आकर्षित करने वाले पेज को लाइक न करें। और सबसे बेहतर तरीका है कि फेसबुक त्याग दें, जी हां फेसबुक छोड़ दें। फेसबुक, आज हममें से बहुत सारे लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है, इसलिए इसे छोड़ना मुश्किल फैसला है। कैम्ब्रिज एनालिटिका कांड के सामने आने के बाद फ़ेसबुक पर हैशटैग #DeleteFacebook ट्रेंड करने लगा है।

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