- कुमारी शिल्पी
पहलगाम घटना के बादि भारत सरकार द्वारा ऑपरेशन सिंदूर नाम से सेना कै कार्यवाही कीन गै। यहिकी सफलता के साथै पूरी दुनियाँ मा लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी अउर वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साहस बहादुरी केर खुब चरचा होइ रही है। सोफिया और व्योमिका जइस महिलन पर भारत के जन-जन का गर्व है
ई दुनहूँ साबित कर दिहिन कि महिला हुअब कउनौ बाधक नहीं है बल्कि अदम्य साहस के साथ कौनिव बड़ी से बड़ी चुनौती स्वीकार करै तईं तैयार हैं। निश्चित तौर पर युद्ध जइस स्थिति के दौरान ई दुनहूँ सैन्य अधिकारी जौन शानदार तरीके से स्ट्राइक केर विवरण पेश किहिन हैं, वहिसे महिलन मा न सिरफ उत्साह केर संचार भवा है बल्कि हर मुश्किल हालात से निपटै बरे साहसौ बढ़ि जाई।
गुजरात निवासी सैन्य परिवार मा जन्मी सोफिया कुरैशी साल 1999 मा सिरफ 17 साल की उमर मा शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए भारतीय सेना मा आई रहीं। छह साल तक संयुक्त राष्ट्र की शांति सेनौ मा काम किहिन हैं। यही तिना पुणे मा साल 2016 के दौरान आसियान प्लस देशन का बहुराष्ट्रीय फील्ड प्ररिक्षण अभ्यास फेर्स 18 मा 40 सैनिकन की भरतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी किहिन रहीं। कुरैशी का बहुराष्ट्रीय अभ्यास मा भारतीय सेना के प्रशिक्षण दल का नेतृत्व करै वाली पहिल महिला अधिकारी बनै का दुर्लभ गौरव हासिल भवा रहै।
यही तिना ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी केर ब्रीफिंग देय वाली विंग कमांडर व्योमिका सिंह दूसर चर्चित अधिकारी रहीं। व्योमिका सिंह भारतीय वायु सेना मा हेलीकॉप्टर पायलट हैं। उनके नाम का मतलबै है आसमान-सम्बन्धी। नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) की कैडेट रहीं व्योमिका सिंह इंजीनियरिंग पास किहिन। साल 2019 मा भारतीय वायुसेना की फ्लाइट ब्रांच मा पयलट के तौर पर परमानेंट कमीशन मिला यानी पोस्टिंग भई।
व्योमिका सिंह 2500 घंटों से ज्यादा उड़ान भरि चुकी हैं। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत मा मुश्किल हालातन मा चेतक अउर चोता जइस हेलीकॉप्टर उड़ाइन हैं। कइव बचाव अभियानन मा अहम भूमिका निभाइन। यहिमा से एकु ऑपरेशन अरुणाचल प्रदेश मा हुआ रहा।
ई दुनहूँ महिला सैन्य अधिकारी जौन आत्मविश्वास अउर दृढ़ता से ऑपरेशन सिंदूर केरी सफलता केर गाथा पेश किहिन हैं न सिरफ देशवासिन के दिल-दिमाग मा अमिट छाप बनी है बल्कि तमाम अवरोधन के बावजूद महिलन मा आगे बढ़ै केर ललक कायम रखी। ई दुनहू महिला अधिकारिन केर जज्बा साबित करि दिहिन हैं कि महिलाएं हर क्षेत्र मा तरक्की केर परचम लहराय रही हैं, चाहे ऊ क्षेत्र सेना जइस चुनौतीपूर्ण अउर साहसिक क्षेत्र काहे न हुवै। महिला सशिक्तकरण की दिशा मा ई दुनहूँ महिलन का प्रदर्शन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करी। महिलन के सपना पूर करै मा मदद करी। देश के विभित्र क्षेत्रन मा महिलन द्वारा यहि तिना के उत्कृष्ट प्रदर्शन विकसित बनावै केरी दिशा मा आगे बढ़त भये भारत कै नई तस्वीर पेश करत है।
साँचु इहौ आय कि सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह जइस देश का प्रतिनिधित्व करै वाली महिलन की सफलता केरी तमाम प्रेरणा के बावजूद देश की आम महिलन तईं अबहियुँ मंजिल आसान नहीं है। भारत मा पुरुष-सत्तात्मक मानसिकता अउर लैंगिक असमानता के प्रभाव मा महिलन का विरोधाभासी भूमिकाएं निभावै तईं मजबूर किया जता है।
महिलन की क्षमता का ई सुनिश्चित करै तईं तैयार कीन जात है ताकि उई बहिन बिटियन, मातन के रूप मा पालन-पोषण करै वाली आपन पारंपरिक भूमिका प्रभावी ढंग से निभावैं। यानी याक 'कमजोर अउर असहाय महिला' की रूढ़िवादिता का बढ़ावा दीन जात है ताकि यू सुनिश्चित होइ सकै कि उइ अपने पुरुष समाज पर पूरी तरह से निर्भर हैं। आत्म निर्भर होय कै सोंच जन्म न लेय पावै। इहै पुरुषवादी समाज केर असल मंशा आय।
लैंगिक समानता अउर महिला सशक्तिकरण के बीच अंतर्सम्बन्धन का समझत भये यहि दिशा मा कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीन गई हैं। तबहिंयुँ भारत मा लैंगिक असमानता मौजूद है। भारत मा लैंगिक असमानता अंतर रिपोर्ट 2023 के अनुसार, लिंग समानता के मामले मा भारत 146 देशन की सूची मा 127 वें स्थान पर है। भारत मा लिंगन के बीच वेतन अंतर दुनिया मा सबसे ज्यादा है। ग्लोबल जेंडर की रिपोर्ट 2021 अनुसार, भारत मा महिलन का औसतन पुरुषन की तुलना मा 21 प्रतिशत वेतन मिलत है।
एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट 2019-21 के अनुसार पुरुषन केर साक्षरता दर 84.7 प्रतिशत की तुलना मा महिलन की साक्षरता दर 70.3 प्रतिशत है। यही तिना 15-49 वर्ष की आयु की लगभग 53 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया यानी खून की कमी से पीड़ित हैं।
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो द्वारा लिंग आधारित हिंसा 'भरत में अपराध' 2021 की जारी रिपोर्ट-अनुसार महिलन के खिलाफ अपराध के 4 लाख से अधिक मामले दर्ज कीन गये हैं।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन अनुसार भारत मा महिलन का 81.8 प्रतिशत रोजगार अनौपचारिक अर्थव्यवस्था मा केंद्रित है। ई आंकड़ा बताय रहा है कि भारत मा अधिकांश महिला-श्रमिक उच्च वेतन वाली नौकरिन तक पहुँचिन नहीं पाय रही हैं।
भारत के चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़न के अनुसार, दिसबर 2023 तक राज्य विधान सभन मा कुल औसत महिला प्रतिनिधित्व सिर्फ 13.9 प्रतिशत है। अप्रैल 2023 के पंचायती राज मंत्रालय के आंकड़न के अनुसार पंचायतन मा निर्वाचित प्रतिनिधियन मा लगभग 46.94 प्रतिशत महिलाएं हैं। जबकि सरपंच-पति संस्कृति ठीक से मौजूद है ईका मतलब है कि ई आंकड़ा प्रभावी रूप से अउर बहुत कम है।
विडम्बना इहौ है कि हमरे भारतीय समाज मा जहां महिलन का देवी-रूप मा पूजा जात है, उहैं इनके साथ भेदभावौ कीन जाय रहा है। सबसे खराब ई है कि महिलन का समान अवसर से वंचित रखा जात है। हमार कहै का मतलब ई है कि अबही भारत की महिलन का सशक्त बनावै तईं बहुतै दण्ड बैठक कशरत करै केर जरूरत है।
तमाम परियासन केर परिणाम रहा है कि तमाम महिलाएं सशक्त बनी हैं उई देश समाज तईं प्रेरणा बनि कै राह देखाय रही हैं।
(लेखिका, ग्रीन गैंग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना रामनगर डिग्री कालेज रामनगर बाराबंकी की स्वयं सेविका व स्नातक छात्रा हैं)
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